बजेट और आम आदमी - रेल बजेट
वैसे तो भारत वर्ष का बजेट फ़रवरी के अंत में संसद में पेश करने की परंपरा रही है परन्तु इस वर्ष उतरप्रदेश और अन्य राज्यों के विधानसभाओं के चुनाव के कारण मार्च मध्य तक बजेट पेश होने की संभावना है | मुझे याद है कि वर्ष २००८ के फ़रवरी महीने में जब हम लोगों ने जी न्यूज़ पर पब्लिक का वित्तमंत्री नामक कार्यक्रम में आम आदमी की बजेट से अपेक्षा सम्बन्धी विचार रखे थे तो ये कहा गया था कि इस कार्यक्रम का आयोजन देर से करने के कारण माननीय वित्तमंत्री जी इन सुझाओं पर विचार नहीं कर सकते है , इसी बात को ध्यान में रखते हुए इस बार में अपने सुझाव जनवरी में ही देने जा रहा हूँ | इस आलेख को रेल तक ही सिमित रखते हुए मेरा कहना कि सुनने को मिल रहे समाचारों के अनुसार रेल मंत्री जी रेल भाड़े को बढाने पर गंभीरतापूर्वक विचार कर रहें है | मेरा उनसे नम्र निवेदन है कि महंगाई से आंतकित आम आदमी पर और बोझा न डाला जाये | हम सभी जानते है कि विभन्न कारणों से आम आदमी के लिए रेल यात्रा का कोई पर्याय नहीं है | यदि हम थोडा गंभीरता से विचार करें तो न केवल रेल यात्रा को और अधिक सुविधाजनक और सुरक्षित बनाने के साथ साथ रेल राजस्व्य को भी बिना भाडा बडाये , बढाया जा सकता है | मेरे सुझाव है
१]ये सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि २०० किलोमीटर या ३ घंटे से अधिक की यात्रा करनेवाले व्यक्ति को कम से कम बैठने का स्थान तो मिले | इस के लिए मेरा सुझाव है कि लम्बी दूरी की रेल गाड़ियों में,वर्तमान में जिन रेल डिब्बों को हम अनारक्षित कहते हैं उनकी संख्या बडाई जाये जो शयनयान डिब्बों की संख्या से अधिक नहीं तो कम से कम उनके बराबर तो अवश्य होनी चाहिए |
२]इन अनारक्षित डिब्बों की आसन क्षमता के ६०%का आरक्षण यात्रा से ७ दिन पूर्व करने का प्रावधान होना चाहिए जिसके लिए यात्री से नाम मात्र शुल्क प्रीति आसन रुपये ५ लिया जा सकता है |
३] शेष ४०% में से आधा रागियों और नौकरी के लिए जानेवालों को यात्रा के दिन बिना शुल्क लिए देने का प्रावधान होना चाहिए | बाकि बचे २०% में से ५% सैनिकों ,५% महिलाओं और १०% आकस्मिक यात्रा करने वालों को दिया जाना चाहिए |
४]इस आरक्षण का नियोजन इस प्रकार होना चाहिए जिससे रेल गाड़ी के मार्ग पर आनेवाले हर शहर को उचित संख्या में आरक्षण का लाभ मिल सके |
५] १०० किलोमीटर अथवा २ घंटे से कम की यात्रा करने वाले यात्रिओं और मासिक पासधारकों के लिए लम्बी दूरी की गाड़ियों में यात्रा करने की अनुमति नहीं होना चाहिए |
६] शयनयान में भी दिन के समय अर्थात प्रातः ८ बजे से रात्रि ८ बजे तक केवल बैठने की अनुमति होनी चाहिए अर्थात इन डिब्बों में सोने के आसन तो वर्तमान जितने ७२ ही रहेंगे परन्तु दिन के समय बैठने के लिए ९९ आसन उपलब्ध होंगे |
७] शयनयान में किसी भी समय निर्धारित संख्या से अधिक यात्री होने की अवस्था में सम्बंधित रेल कर्मचारी पर एक महीने की पगार नहीं मिलने जैसा कठोर दंड होना चाहिए |
८] यात्रियों की सुरक्षा और कार्य जवाबदारी को ध्यान में रखते हुए शयनयान टिकेट निरिकक्ष को किसी भी अवस्था में दो जुड़े डिब्बों से अधिक की जवाबदारी नहीं दी जानी चाहिए |
९]इसी प्रकार अनारक्षित डिब्बों को एक साथ जोड़ना चाहिए तथा प्रत्येक डिब्बे के लिए एक इस अनुपात में सुरक्षा कर्मचारी होना चाहिए |यात्रियों को उनके आरक्षित आसन पर बिठाना भी इस सुरक्षा कर्मी की ड्यूटी का हिस्सा होगा |
१०]लम्बी दूरी की नयी रेल गाड़ियों के स्थान पर कम दूरी की नयी रेल गाड़ियाँ शुरू करने पर अधिक ध्यान देना चाहिए जिससे लम्बी दूरी की यात्रा करनेवाले यात्री अनावश्यक भीडभाड से बच सकेंगे और शांतिपूर्वक यात्रा कर सकेंगे |
११]वातानाकूलित डिब्बों में भी दिन के समय यात्रा करनेवालों की संख्या को अनुपातिक स्वरुप में बढाया जा सकता है |
१२]दिन के समय शयनयान और वातानाकूलित डिब्बों में यात्री संख्या बढाने से न केवल अधिक यात्री सुविधापूर्वक यात्रा कर सकेंगे परन्तु साथ ही रेल का राजस्व्य भी बढेगा |
No comments:
Post a Comment