निश्चय ही ये एक ऐसा विषय है जिस पर असहमति के स्वर सुनाई देना कोई नयी बात नहीं होगी परन्तु निश्चित ही दादा ने अपने जीवन की खिलाडी के रूप में अंतिम पारी खेल ली है
| अच्छा तो यही होता कि यह देश का एक सर्वश्रेष्ट कप्तान और शायद कपिलदेव के
बाद एकमात्र प्ररेणा दाई कुशल नेत्रत्व पहिले ही घोषणा कर देता कि ५ मई को कोल्कता
में होने वाले मैच के बाद वो अपने क्रिकेट बेट को विराम देने जा रहा है, परन्तु
जिस प्रकार से पुणे कि टीम ने इस सत्र की शुरुआत की उसने शायद दादा के मन में
विश्वास पैदा कर दिया कि वो IPL 5 के विजेता कप्तान के रूप में खेल को विदा कह
सकते हैं अभी भी दादा शायद १९ मई का इन्तिज़ार कर रहें हैं जब एक बार फिर से पुणे और
कोल्कता के बीच मैच होगा |
इतना तो निश्चित है कि दादा अधिक दिनों तक मैदान पर खिलाडी के रूप में नज़र
नहीं आने वाले हैं वैसे तो उनकी जुझारू पन को देखते हुए ये कहना गलत हो सकता है
परन्तु कोल्कता में ५ मई के मैच ने दिखा दिया कि दादा मानसिक रूप से आज भी उतने ही
सक्षम है जितने वो भारत के लिए खेलने वाले पहले दिन थे परन्तु आज उनकी शारीरिक
क्षमताएं उनकी मानसिक क्षमता के साथ प्रवाहित नहीं हो रही है |
यदि BCCI दादा की क्षमताओं और प्ररेणा दाई नेत्रत्व का सदुपयोग करना चाहता है
तो संभवतः यही सही समय जब दादा तो अंडर १९ का अगले पांच वर्षों के लिए कोच नियुकुत
कर दिया | भारत वर्ष में तो शायद ही कोई क्रिकेट का जानकर होगा जो मेरे इस विचार से
असहमत हो कि BCCI का यह कदम भारत को अगले दस वर्षों में क्रिकेट का सरताज बनाने कि
दिशा में सार्थक पहल होगी |
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