केंद्रीय कानून मंत्री श्री सलमान खुर्शीद और चुनाव आयोग के वर्तमान विवाद ने चुनाव आदर्श संहिता पर एक बड़ा प्रश्न चिन्ह निर्माण कर दिया है | लोकतंत्र
में जितना महत्व चुनवों को हैं
उससे कंही अधिक महत्व है निष्पक्ष , भयरहित
और लोभ्रहित चुनाव संपन्न होने की प्रिक्रिया को | भारीतय लोकतंत्र व्यवस्था में यह जवाबदारी चुनाव आयोग को दी गयी और इसके लिए आदर्श चुनाव संहिता का निर्माण करके उसके पालन करवाने की जिम्मेदारी चुनाव आयोग को दी गयी है |
भारत जैसे शिक्षा के क्षेत्र में पिछड़े, जाती समुदाय और विभिन्न धर्मों वाले देश में निष्पक्ष चुनाव करवाना वास्तव में एक बड़ी सफलता माना जा सकता है परन्तु कई बार राजनैतिक दल और राजनेता ही या तो जाती विशेष या क्षेत्र विशेष या फिर धर्म आधारित अपने बयानों से आदर्श चुनाव संहिता का उलंघन करते रहते हैं परन्तु हालत संभाल लिए जाते हैं | इस बार हुआ ये है कि चुनाव आयोग की चेतावनी के बाद भी नेताजी का आचरण तो सुधरा नहीं परन्तु उल्टा वे चुनाव आयोग को चुनोती देने की मुद्रा में आ गए | चुनाव आयोग कोई एक व्यक्ति नहीं एक संविधानिक संस्था है जिसका सम्मान सभी राजनैतिक दलों और नेताओं को करना चाहिए | ये तो अच्छा है कि चुनाव आयोग ने खुद कार्यवाही करने के स्थान पर महामहिम राष्ट्रपति जी से केंद्रीय मंत्री के आचरण की शिकायत की है जो न केवल इस पद पर विराजमान व्यक्ति की संवैधानिक पदों के प्रीति आदर दिखता है पर साथ ही देश में लोक्तान्त्रतिक व्यवस्था को और अधिक मजबूती प्रदान करना चाहता है |
केंद्रीय मंत्री के पक्ष में यह तर्क दिया जा रहा है कि चूँकि वे पार्टी के चुनाव घोषणा पत्र समिति में शामिल हैं और उन्होंने वही बात कही है जो पार्टी के चुनाव घोषणा पत्र में सम्मलित है इसलिए उन्होंने किसी भी प्रकार से आदर्श चुनाव का उलंघन नहीं किया है | ये सही है कि हर राजनैतिक दल के नेताओं को पूरा पूरा अधिकार है कि वे अपनी पार्टी के चुनाव घोषणा पत्र में किये गए वायदों को आम जनता तक पंहुचाएं परन्तु यहाँ पर विपक्ष का तर्क अधिक वास्तविकता के धरातल पर नज़र आता है | माना कि रेल भाडा कम करना किसी राजनैतिक दल के चुनाव घोषणा पत्र में सम्मलित हो सकता है परन्तु जब किसी राज्य में विधान सभा के चुनावों के समय यदि केंदीय रेल मंत्री अपने चुनावी भाषण में ये कहे कि प्रदेश में उनकी पार्टी की सरकार बनने पर रेल भाडा कम किया जायेगा तो निश्चय ही इसे मतदाताओं को प्रलोभन देकर मतदान को प्रभावित करने का प्रयत्न मन जायेगा और यह आदर्श चुनाव संहिता का उलंघन है |
वैसे देखा जाये तो वर्तमान में लगभग सभी राजनैतिक दलों के चुनाव घोषणा पत्र वास्तविकता से कोसों दूर होते है और उनमें कई ऐसी बातें सम्मलित होती है जिन्हें मतदाओं को प्रलोभन देने की श्रेणी में रखा जा सकता है और जो आदर्श चुनाव संहिता का सीधा सीधा उलंघन करती हैं | ज़रा कुछ बातें, जो वर्तमान विधान सभा चुनावों के लिए अलग अलग राजनैतिक दलों के घोषणा पत्रों में सम्मलित है , पर गौर करें
[१] हमारे दल की सरकार बनने पर विधार्थियों को मुफ्त या रियाती दरो पर लैपटॉप अथवा कंप्यूटर दिया जायेगा |
[२] हमारी सरकार बनने पर किसानों को मुफ्त बिजली पानी दिया जायेगा |
[३] चुनाव के बाद हमारी सरकार बनने पर अमुक वर्ग विशेष को आरक्षण देंगे |
[४] हमारी सरकार बनने की अवस्था में हम अमुक व्यवसाय करने वालों के लिए १% तक की कम व्याज दर वाला ऋण उपलब्ध कराएँगे |
[५] सरकार बनने के बाद हम किसी क्षेत्र विशेष के लिए विशेष आर्थिक अनुदान देंगे |
वास्तव में देखा जाये तो आज चुनाव घोषणा पत्र से ही आदर्श चुनाव संहिता के उलंघन का आरंभ हो जाता है | अब वह समय आ गया है चुनाव आयोग सभी राजनैतिक दलों को इस प्रकार की बातें चुनाव घोषणा पत्र में सम्मलित करने से रोकें अथवा ऐसा प्रावधान होना चाहिए कि जब कोई दल यह कहता है कि सरकार बनने पर मुफ्त बिजली पानी देने या किसी क्षेत्र विशेष को विशेष आर्थिक अनुदान देगा तो उसे यह बात भी स्पष्ट रूप से बतानी चाहिए कि ये पैसा कंहा से आएगा | यदि कोई दल सरकार बनने पर विद्यार्थियों को मुफ्त या रियाती दरों पर लैपटॉप या कंप्यूटर देने का वायदा करता है तो ये सुनिश्त करना चाहिए कि इस मद पर होनेवाले कुल खर्च का विवरण चुनाव घोषणा पत्र में सम्मलित हो | साथ ही ये भी सुनिश्त किया जाना चाहिए कि सरकार बनाने के बाद राजनैतिक दल अपने चुनाव घोषणा पत्र में किये गए वायदों को २ वर्षों में पूरा करें और ऐसा न करने पर चुनाव आयोग अथवा राष्ट्रपति को ये अधिकार होना चाहिए कि वे इस सरकार को बर्खास्त कर प्रदेश में फिर से चुनाव करवा सकें |
किसी भी राजनैतिक दल को सस्ता अनाज, मुफ्त बिजली पानी या लैपटॉप जैसे प्रलोभनों के लिए शासकीय कोष के दुरूपयोग की अनुमति नहीं दी जा सकती है | यदि कोई दल ऐसा कोई वायदा करता है उसके लिए ये अनिवार्य कर देना चाहिए कि इस पर होने वाला खर्च चुनाव से पूर्व चुनाव आयोग के पास जम्मा करा दें |
हर एक राजनैतिक दल के लिए ये अनिवार्य कर देना चाहिए कि राज्य के क्षेत्रवार विकास योजना को विस्तृत रूप में अर्थात योजना पर होने वाले खर्च और लाभाविंत होनेवाली जनसँख्या को अपने चुनाव घोषणा पत्र में सम्मलित करें | निर्दलीय उमेदवार के लिए यह अनवार्य हो कि वो कम से कम अपनी विधायक निधि से जो विकास कार्य करना चाहता है उनका क्षेत्रवार विवरण और रूपरेखा नामांकन पत्र के साथ जोड़े और सार्वजानिक रूप से प्रकाशित करे |
संभवतः अब वो समय आगया है जब देश को और विशेषकर राजनैतिक दलों को आदर्श चुनाव संहिता के पालन के साथ साथ आदर्श चुनाव घोषणा पत्र की आवश्यकता पर भी पूरी पूरी गंभीरता से सोचना चाहिए | यही एक मात्र उपाय है देश में लोकतंत्र के विकास और मजबूती के लिए |
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