शिक्षा और विशेषकर ग्रामीण भारत में शिक्षा सुविधाओं के विस्तार के लिए हमारे दल की योजना है
[१] शिक्षा को राज्यों की सूचि से निकालकर केंद्र की सूचि में सम्मिलित किया जायेगा जिससे सम्पूर्ण देश में पाठयक्रम और शिक्षा के स्तर को एकसमान रखने में सहायता हो।
[२] शिक्षा का राष्ट्रीयकरण करके सरकारी स्कूल्स की संख्या और गुणवता में वृद्धि के लिए सभी आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए सभी सम्भव प्रयत्न किये जायेंगे।
[३] चरणबद्ध रूप में कक्षा बारहवीं तक की शिक्षा को सभी बच्चों के लिए अनिवार्य और मुफ्त बनाया जायेगा। [४] भूमिहीन ग्रामीण , एक एकड़ से कम भूमि वाले किसान , तृतीय और चतुर्थ श्रेणी के सरकारी कर्मचारी तथा निजी क्षेत्र के कामगार जिनकी वार्षिक आय रु. ६०,००० से कम होगी उनके बच्चों को प्रतिवर्ष रु. ३००० क्षात्रवृत्ति दी जायेगी क्यूंकि बारहवीं तक की शिक्षा देश के प्रत्येक बालक के लिए अनिवार्य और मुफ्त होगी।
[५] नए निजी स्कूल खोलने की अनुमति नहीं दी जायेगी तथा वर्त्तमान के सभी निजी स्कूल्स में भी महँगी शिक्षा पर अंकुश लगाने के लिए आगामी जून २०१५ से पूर्व ही देश के शिक्षा विशेषज्ञ और स्कूल संचालकों की सयुंक्त समिति द्वारा वार्षिक शैक्षणिक शुल्क निश्चित किया जायेगा।
[६] निजी स्कूलों में शैक्षणिक शुल्क में तभी वृद्धि की जायेगी जब स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों के ७५% अथवा अधिक पालक सहमत हो।
[७] प्रत्येक शाला में दीर्घ अवकाश के दिनों में राष्ट्रीय स्तर पर सहभागी खिलाडी / खिलाडियों के मार्ग दर्शन में किसी भी खेल विशेष के लिए प्रशिक्षण शिवरों का आयोजन किया जायेगा। ऐसे सभी शिवरों के समयकाल और शुल्क का निर्धारण पालकों की सहमति से किया जायेगा।
[८] प्रोढ़ शिक्षा जैसे अप्रभावी और दोपहर के मुफ्त भोजन जैसी विवादस्पद योजनाओं को बंद कर दिया जायेगा और इन योजनाओं पर होने वाली राशि का उपयोग नए स्कूल्स खोलने और वर्त्तमान स्कूल्स में सुविधाओं और स्तर बढ़ाने पर खर्च किया जायेगा।
[९] उच्च शिक्षा प्राप्ति अथवा बारहवीं के बाद अपना व्यवसाय आरंभ करने के लिए शुरआती पूंजी की उपलब्धता के लिए सरकारी स्कूल्स में पड़नेवाले पत्येक विधार्थी का रु. १ लाख का मुफ्त बिमा किया जायेगा।
करों का सरलीकरण
देश के करदाता, व्यापारी और सामान्य नागरिक भी करों की विवधता और जटिलता से परेशानी अनुभव करते हैं तथा करों की अधिकता के कारण भी महंगाई में वृद्धि होती है, परन्तु कर सरकार को प्राप्त होने वाले राजस्व का एक मुख्य भाग भी है। इन्ही बातों को ध्यान में रखते हुए हमारा दल सत्ता में आते ही करों के सरलीकरण के लिए औद्योगिक क्षेत्र के प्रितिनिधि, व्यापर संस्थाओं के प्रतिनिधि और आर्थिक क्षेत्र के विशेषज्ञों की समिति स्थापित की जायेगी जो एक वर्ष के अंदर अपने सुझाव सरकार को देगी। देश के सामान्य नागरिक और व्यापारी वर्ग की प्रितिक्रया और संसद में विचार विमर्श के बाद करों के नए ढांचे को कार्यविन्त किया जायेगा। इस सम्पूर्ण क्रिया में २-३ वर्ष लगना सम्भव है इसी बात को ध्यान में रखते हुए आर्थिक वर्ष १-४-२०१५ से ३१-३-२०१६ से नयी कर प्रणाली के प्रभावी होने तक
[१] रु. १ करोड़ वार्षिक विक्री करनेवाले खुरदरा [Retail ] विक्रेताओं के पास वर्त्तमान दरों पर कर भुगतान के अतरिक्त अपनी विक्री राशि पर २% के कर [आय कर, वैट, व्यवसाय कर और सेवा कर के स्थान पर ] के भुगतान का पर्याय उपलब्ध होगा परन्तु इस पर्याय चुनने की घोषणा ३१-१२-२०१४ से पूर्व करना अनिवार्य होगा।
[२] देश में बाल मजदूरी रोकने तथा निजी क्षेत्र में कामगारों के हो रहे आर्थिक शोषण को रोकने के लिए देश के सभी बालिगों नागरिकों के लिए ३१-१२-२०१४ से पूर्व आय कर स्थायी संख्या [PAN] परिचय पत्र बनवाना अनिवार्य होगा। ३१-३-२०१५ को समाप्त होनेवाले वार्षिक वर्ष से प्रत्येक आयकर दाता को अपने आयकर विवरण पत्र उसके द्वारा किसी को भी दिए वेतन विवरण के साथ वेतनधारी का PAN देना अनिवार्य होगा।
[३] काले धन पर अंकुश लगाने के लिए आगामी आर्थिक वर्ष से रु. पाँच हज़ार से अधिक के नगद भुगतान पर प्रतिबंध होगा। सभी विक्रेताओं और सेवा देनेवालों पर पांच हज़ार से अधिक के मूल्य की वस्तु खरीदनेवाले / सेवा प्राप्त करनेवाले का PAN देना अनिवार्य होगा।
[४] नौकरी करनेवालों की आय उन्हें प्राप्त सकल राशि और सुविधायों के मूल्य पर आधारित होगी परन्तु नए कर ढांचे के प्रभावी होने तक उन्हें प्रचलित आय कर की दरों की तुलना में आधी दरों पर कर भरना होगा।
[५] यह अनुभव हो रहा है कि जीवन आवश्यक वस्तुओं की महंगाई में उत्पादनकर्ता द्वारा किये गए विज्ञापनों पर खर्च की गयी राशि एक महत्वपूर्ण घटक है अतः १-४-२०१५ से आरंभ होनेवाले आर्थिक वर्ष से इन उत्पादनकर्ताओं को अपने उत्पादनों के सकल विक्री मूल्य के १% से अधिक राशि विज्ञापनों पर खर्च करने की अनुमति नहीं होगी। इस श्रेणी में सम्मिलित सभी उत्पादनों की सूचि ३१-१२-२०१४ तक प्रकाशित कर दी जायेगी।
[६] व्यापारिक संस्थानों के प्रशासकीय खर्चों पर नियंत्रण रखने के लिए १-४-२०१५ से आरंभ होनेवाले आर्थिक वर्ष से किसी भी व्यापारिक संसथान को उस आर्थिक वर्ष में दर्शाये गए अपने शुद्ध लाभ के ६०% तक की राशि को प्रशासकीय खर्च के रूप में मान्यता दी जायेगी तथा इस मद में खर्च की गयी अधिक राशि को संसथान के शुद्ध लाभ में जोड़कर आयकर की गणना की जायेगी।
[७] किसी भी व्यापरिक संस्थान द्वारा मालिक अथवा नोकरी करनेवालों में से प्रत्येक के रु. पांच लाख के स्वास्थ बीमा के लिए दिए गए प्रीमियम राशि को देय आयकर में १००% की छूट होगी। इसी प्रकार यदि कोई संसथान अपने किसी कर्मचारी को पुत्री के जन्म पर उस कन्या के लिए एक बार भुगतान की जानेवाली दीर्घ कालीन बीमा पालिसी उपहार स्वरुप देता है तो यह राशि भी आयकर में १००% की छूट के लिए मान्य होगी।
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