Friday, July 31, 2020

सफलता और मेरा दृष्टिकोण 
1 . क्या यह कहना कि मैं कुछ नहीं कर सकता गलत नहीं है क्योंकि कोशिश तो ज़रूर की जा सकती है।
2 . चाहता तो हर कोई है परन्तु सफलता का संतोष सभी को नहीं मिलता है।
3 . घमंड और ग़र्व उपजाने वाली सफलता क्षण भंगुर और अवास्तविक होती है।
4 . सफलता आपकी आलोचना और नकारात्मक बातें सहने की क्षमता की प्रतीक है।
5 . सफलता निश्चित रूप से मंज़िल नहीं होती है क्योंकि कुछ और पाने की चाहत हमेशा शेष रहती है।
6 . सफलता के गर्भ से जब गर्व उत्पन होने लगे तो समझ लीजिये कि आपने गलत राह चुनी है।
7 . सफलता का प्रथम सोपान असफलता है। असफलता से भयभीत होने का अर्थ है सफलता की राह से दूर होना।
8 . सफलता सदैव अपने पथ के निर्माण पर निर्भर रहती है। दूसरों के पथ पर चलने वाले प्रायः असफल हो जाते हैं।
9 . असफलता का विश्लेषण सफलता का राज्य मार्ग है।
10. सफलता के लिये बिना पर्यायों वाले लक्ष्य और उसकी प्राप्ती के लिये संघर्ष क्षमता का होना अनिवार्य है।
11. यदि आपकी सफलता से आपके अपनो को खुशी नहीं मिलती है तो निश्चय जानिये कि आपकी सफलता अपूर्ण है।
12. सफलता की सीढ़ियां चढ़ते समय ध्यान रखें कि आपसे पूर्व भी लाखों करोड़ों इस सुखद स्पर्श का अहसास कर चुके हैं।
13. कोई भी सफलता अंतिम नहीं होती है क्योंकि जब भी हम ऊपर देखते है तो हमें अपने ऊपर एक रिक्त स्थान दिखाई देता है।
14. सफलता जब भी आती है तो गर्व की बाढ़ साथ लाती है इसीलिये नम्रता की नाव सदैव तैयार रखें।
15. सफलता का कारण ढूंढना अर्थात अपनी कार्य क्षमता और विचार प्रवाह में अवरोध उत्पन्न करना। 
16. सफलता और असफलता की राह एक समान होती है। जहां सफलता नयी मंज़िल तय करती है तो असफलता नया मार्ग बताती है। 
17. कर्मठ व्यक्ती सदैव अपने कर्म में लीन रहता है इसलिये सफलता उसके पीछे भागती रहती है।
18. सफलता के लिये अवसर का इंतज़ार करने वाले इंतज़ार करते रहते हैं और अवसर निर्माण करने वाले सफल हो जाते हैं।
19. अपनी क्षमताओं के सीमित होने के अहसास के साथ जीने वाले हमेशा सफलता से दूर रह जाते हैं।
20. सफलता के लिये यह आवश्यक है कि आपके पास हर आपदा को अवसर के रूप में देखने का दृष्टिकोण हो। 
21. सफल व्यक्ती यह याद नहीं रखता है कि सफलता कैसे मिली उसे तो यह याद रहता है कि वह असफल क्यों हुआ था।          

Tuesday, August 16, 2016

सिंधीयिन जे वाधारे जूं रुकावटूँ ?

आम तौर सिंधीयिन जी दान्ह आहे त असां जी कौम उहा तरकी न कयी आहे।   भारत में असां सिंधीयिन खे उहो मुकाम न मिलियो आहे जहिं जा असां हक़दार आहियूं ? अचो त डिसूं त १९४७ - २०१६ जे विच में मुल्क जी वडी माली ताकत जो रुतिबो हासिल कन्दड सिंधी कौम जे वाधारे जूं मुख्य रुकावटूँ कहिड़ीयूँ रहियूं आहिन।
[१]  भाषा : असां सिंधी बोलीअ खे सिर्फ विचारन जी जाण [डे वठु ] जो साधन समझी सिंधी बोलीअ ते ध्यान न डिनो आहे।  हकीकत में भाषा समाज जे तहजीबी [Cultural], अदबी [Literary] ऐं सामाजिक वाधारे जो साधन बि आहे जहिं ते ध्यान न डियण सबब सिंधी भाषा ऐं नतीजे तौर सिंधी कौम जे वाधारे में रूकावट पैदा थी आहे।
[२] लिपीअ जो झगड़ो : अरेबिक ऐं देवनागिरी लिपि जे झगडे सबब अदबी वाधारो न थी संघियो आहे।  साहित्य समाज जो आइनो लेखियो वेन्दो आहे पर जे आइनो ई न हुजे त समाज जी जेका हालत थिये थी सा असांजे सामहूं आहे।
[३] तमाम घणियूं संस्थाऊँ : सिंधी कौम जे वाधारे में इन्हन बि रूकावट जो कमु कियो आहे छो जो इन्हन में सिर्फ पाण खे रहबर डेखारिण जी चटा भेटी हले पयी।
[४] होसिला अफ़ज़ाई जी घटितायी : - जेके बि शख्स या संस्थाऊँ सिंधी कौम जे वाधारे वास्ते कमु करण शुरू कन था उन्हन मां जेके बि कमु बंद कन था जे उन जो सबब डिसजे त आम तौर हिकु आहे समाज पारां मुनासिब सहयोग त परे पर ठीक ठाक नमूने जी होसिला अफ़ज़ाई बि हासिल कोन थिये।
[५] सिर्फ पाण खे सही या बेहतर समझण ;- सिंधी कौम खे भारत में नयें सिर पाणु वासायिणो हो मतलब मुख़्तलिफ़ खेतरन में सुधार जी ज़रूरत हुयी ऐं अजु बि आहे। असां जे समाज वट अलग अलग खेतरन में कमु कन्दड शख्स ऐं संस्थाऊँ आहिन ऐं काफी सुठो कमु बि थिये पियो पर मुसीबत इहा आहे जो इन्हन मां हर को पहिंजे कम खे वधीक अहमियत वारो समझी बिये खे न सिर्फ घटि थो लेखे पर उन जे कम खे घटि अहमियत वारो या मागे बिना ज़रूरत वारो कमु डेखारिण जी कोशिश कन था।  नतीजे तौर आम सिंधीअ जे विशवास में घटितायी अचे थी ऐं हू इन्हन सुधारन खां पाणु परे करण जी कोशिश करे थो।
[६] शख्सी सतह : हाणे जे असां शख्सी सतह ते विचार कयूं त हित बि असां जो अहम आडो अची सिन्धियत जे वाधारे जी राह रोके बिहे थो। मुहिंजी बिलकुल ताज़ी यादगिरी मुखे बुधाये त कीअं उत्तर भारत जूं समाज सेवा में नामवर ऐं पाण खां वधीक सिंधी समाज खे अहमियत डियण वारियूं ब शख्सियतूं खसीस व्हाट्सएप्प ग्रुप में पहिंजी हैसियत या अहमियत घटिजण जो खियाली खियाल करे पहिंजे अहम खे चोट रिसाये वेठियूं ऐं नतीजे तौर हिक बिये खे पहिंजे व्हाट्सएप्प ग्रुप मां रिमूव करे पाण खे बिये जे व्हाट्सएप्प ग्रुप खां धार करे छडियो। हाणे सोचियो उन्हन जे इन अहम जे टकराव जो नुकसान त सिंधी समाज खे थियो न ? छो जो बिन्ही जी सलाहयतुन जो कुछ हिसो इन गालिह में अजायो पियो खरचु थी रहियो आहे त बियो उन बाबत व्हाटसअप ते छा लिखी रहियो आहे ?  जे इहो अहम जो टकराव टारिण मुमकिन हुजे हां त इहे सालाहियतूं, वकतु ऐं उन्हन जी गड़ियल सघ सिन्धियत जे वाधारे वास्ते वधीक असरायिते नमूने कम अची सघे हां। 

Friday, December 18, 2015

The Sindhu World - Virtual Home of Global Sindhis

How we started 
It was the year 2006 just before I started blogging I felt that as for as online platforms are concerned there is quite huge open space for Sindhi community. There were a few Sindhi websites majority from the Pakistan and UAE but not a single one which was being updated regularly. Visitor’s participation and interaction was also at the lowest level. All this proved to be the seed for the launching of The Sindhu World, a Sindhi website and virtual home of global Sindhi community. 
This was not an easy task to lay down the structure of The Sindhu World. Almost four months went passed in discussion what should or should not be the part of the website. It took almost same span of time for the content development and designing of the lay out. Finally as I recall with 50 odd web pages The Sindhu World was launched on 29-08-2006 by Satguru Swami Dev Prakash Maharaj Ji at Kolhapur. As decided on 1-10-2006 the website was updated first time [Monthly Update] though adding web pages about the biography of imminent Sindhi personalities was continuously ongoing process. It took almost a year for making the website versatile to meet with visitor’s requirement. 
In the year 2007 List of Sindhi Dharamshala in India with indication about the information related with availability of Tourist stay facility at many of these community buildings constructed by the Sindhi community.  In the same year we had also started “The Sindhu World Directory “ to serve as the communication and binding link for the globally scattered Sindhi people, but in short span of time we learned that it will be more useful to concentrate on Sindhi in India. Towards the end of 2009 The Sindhu World Directory becomes “Business Directory of Sindhi in India”.  Know we are coming up with “The Sindhu World” android app for the business details, voice contact numbers and address of Sindhi from various cities of India. 
We had also started Free Sindhi Matrimony as part of website but within one year due to lack almost nil response were forced to discontinue that section. Any how many people from almost all parts of the globe kept on encouraging us. Since the 2010 Greetings for Birthdays and Wedding Anniversary is the constant feature of the website. In this renovated form we are keeping Birthday wishes in continuation.

Sunday, January 12, 2014

क्या कांग्रेस फिर से सरकार बना सकती है ?

लोकसभा चुनावों से लगभग चार माह पूर्व देश के नागरिकों का बहुत बड़ा वर्ग साधारण रूप से इस प्रश्न  का सकारात्मक उत्तर देने में स्वयं को असमर्थ अनुभव कर रहा है।  केवल नागरिक ही क्यूँ स्वयं कांग्रेस के नीतिकार भी इस विषय में स्पष्ट मत प्रदर्शन से बचते नज़र आ रहें है , विपक्षी दल तो कांग्रेस के फिर से सरकार बना सकने की सम्भावनाओं को भी नकारते फिर रहें है। 
यह सही है कि UPA सरकार महंगाई , भृष्ट्राचार, बेरोजगाजरी जैसे मुद्दों पर पूर्णतः घिरी नज़र आ रही है यहाँ तक की प्रधानमंत्री स्वयं असफलता की बात स्वीकार कर चुके है , फिर भी क्या देश की १२८ साल पुरानी और लगभग ६ दशकों तक केंद्र में शासन करनेवाली पार्टी को इस प्रकार से नज़रअंदाज़ किया जा सकता है? क्या वास्तव में कांग्रेस के पास चुनावी पराजय के अतिरिक अन्य कोई विकल्प शेष नहीं है ? 
वैसे कई राजनैतिक विश्लेषकों और कांग्रेस के पुराने नीतिकारों का मत है कि वर्त्तमान अवस्था में , विशेषकर आम आदमी पार्टी के लोकसभा चुनावों में भाग लेने की घोषणा के बाद , लोकसभा चुनावों की परिणिति एक त्रिशंकु संसद के रूप में होगी और अधिक सम्भावना है कि दिल्ली की तरह किसी एक अथवा अधिक दलों को समर्थन देकर या UPA के अनुभव के आधार पर कांग्रेस के सरकार में बने रहने की क्षीण सी आशा है।  
आप चाहे तो इसे मेरा कांग्रेस प्रेम भी कह सकते हैं या फिर लम्बे अरसे से कांग्रेस के शासन में रहने की आदत परन्तु फिर भी न जाने क्यूँ मेरा मन कांग्रेस की इस प्रकार की अवहेलना से सहमत नहीं हो रहा है।  मेरा कहना है कि देश की सबसे पुरानी राजनैतिक पार्टी को इस तरह से न तो हाशिये पर धकेला जा सकता है और न ही यह उचित भी होगा।  अब प्रश्न उठता है कि केंद्र में फिर से सरकार बनाने के लिए कांग्रेस  पास कौन कौन से विकल्प शेष रहते हैं क्यूंकि कांग्रेस यह भी अच्छी तरह से जानती और समझती है कि यदि २०१४ में बीजेपी श्री मोदी जी के नेतृत्व में सरकार बनाने में सफल हो जाती है तो कांग्रेस केवल पांच वर्षों तक नहीं परन्तु एक लम्बे काल के लिए सत्ता से दूर हो जायेगी।  कांग्रेस के नीतिकार इस बात से भी बड़ी अच्छी तरह से परिचित है कि सत्ता से दूर रहने का अर्थ है कांग्रेस के विघटन का आरंभ। इस बात को इस प्रकार से भी समझा जा सकता है कि दिल्ली में अधिकांश विजयी विधायकों के विरोध के बाद भी, शीर्ष नेतृत्व ने , कांग्रेस को पानी पी पी कर कोसनेवाली आम आदमी पार्टी को बिन मांगें ही समर्थन दे दिया।  अब देखिये अप्रत्यक्ष रूप में कांग्रेस दिल्ली में शासन में हैं क्यूंकि आम आदमी पार्टी की सरकार कांग्रेस की वैसाखी पर ही टिकी हुई है।  आम आदमी पार्टी भी इस वैसाखी को स्पष्ट अनुभव करती है सम्भवतः इसी कारण सरकार बनाने के साथ ही आम आदमी पार्टी की टिप्णियों और विरोध में अब बीजेपी को कांग्रेस की अपेक्षा अधिक स्थान मिलने लगा है।  
हमारा इस लेख का उद्देश्य दिल्ली की सरकार नहीं, लोकसभा चुनावों के लिए कांग्रेस के पास उपलब्ध पर्यायों पर चर्चा करना है तो आइये देखते हैं कि कांग्रेस के पास कौन कौन से पर्याय शेष रहते हैं। 
[१] कांग्रेस को सर्वप्रथम अपने प्रधानमंत्री के प्रत्याशी जो अघोषित रूप से श्री राहुल गांधी है की यथासम्भव शीघ्र घोषणा कर देनी चाहिए।  इस घोषणा की देरी कांग्रेस को वही नुकसान पहुंचा सकती है जो बीजेपी को दिल्ली में डॉक्टर हर्षवर्धन के नाम को देर से घोषित करने के कारण हुआ था।  
[२] कांग्रेस को अगले लोकसभा चुनाव के लिए अकेले अर्थात बिना किसी अन्य दल के साथ चुनाव पूर्व गठबंधन के चुनाव लड़ने की घोषणा और तैयारी करनी चाहिए।  मैं जनता और समझता हूँ कि कांग्रेस के पुराने नीतिकारों को यह बात न केवल हज्म नहीं होगी   परन्तु साथ ही आत्मघाती भी अनुभव होगी परन्तु मेरा कहना है कि समय के साथ बदलाव भी आवश्यक है साथ ही यह भी समझना आवश्यक है कि वर्त्तमान परिस्थितयों में, चुनाव पूर्व गठबंधन के साथ भी  कांग्रेस के लिए वैसे भी इस चुनाव में जीत प्राप्त करने की सम्भावनायें कम ही हैं। 
[३] जैसे समाचार मिल रहें कि कांग्रेस अपनी चुनावी रणनीति में परिवर्तन करने जा रही है : बैंगलोर में राहुल गांधी ने चुनाव घोषणापत्र के बारे विद्यार्थियों से चर्चा की , इसीलिए भी यह आवश्यक है कि २०१४ में कांग्रेस देश के सामने एक नए रूप में आये। 
[४] जनवरी अंत अथवा अधिकतम फरवरी मध्य तक कांग्रेस को अपने सभी लोकसभा प्रत्याशियों के नामों की घोषणा कर देनी चाहिए जिससे न केवल घोषित प्रत्याशियों को चुनाव प्रचार के लिए समय मिलेगा साथ ही कांग्रेस को दल छोड़कर जानेवाले वर्त्तमान नेताओं से मुकाबला करने के लिए रणनीति तैयार करने के लिए भी प्रचुर समय प्राप्ति होगी। 
[५] देश में युवा मतदाताओं की बड़ी संख्या को ध्यान में रखते हुए कांग्रेस को कम से कम २०० ऐसे प्रत्याशियों को अवसर देना चाहिए जिन की आयु ४० वर्ष या उससे कम हो। 
[६] देश के प्रायः हर भाग में जनाधार रखनेवाली कांग्रेस के लिए यह कोई कठिन कार्य नहीं है कि दल ऐसे व्यक्ति ढूंढ निकाले जो चाहे राजनीती में हो अथवा नहीं परन्तु अपने अपने क्षेत्र में जिनकी सामाजिक छवि स्वच्छ तथा प्रभावी हों। ऐसे प्रत्याशियों के चयन से कांग्रेस देश को यह सन्देश दे सकती है कि भृष्ट्राचार विरोधी उसकी निति केवल बातों तक सिमित नहीं है। 
[७] कांग्रेस को देश के मतदाताओं को यह भी समझाने की आवश्यकता है कि प्रभावी सरकार के प्रबंधन के लिए युवा जोश के साथ अनुभव का भी महत्व होता है। 
[८] कांग्रेस को देश के नागरिकों को स्पष्ट मतदान के लिए प्रेरित करने के लिए गठबंधन सरकार के कारण निर्णयों पर होने वाले प्रभावों के विषय में शिक्षित करना चाहिए।  दो बार केंद्र में तथा कई राज्यों में गठबंधन सरकार चलाने के अनुभव के कारण कांग्रेस के लिए यह कार्य कठिन नहीं है।  
[९] कांग्रेस को अपने प्रत्याशियों में विभिन्न क्षेत्रों के विशेषिज्ञों का समावेश करने के साथ साथ यह बात भी घोषित कर देनी चाहिए कि चुनाव जीतने के बाद इन्ही में से संबधित विभाग के मंत्री बनाये जायेंगें।  
[१०] अंतिम परन्तु सब से अधिक महत्वपूर्ण कांग्रेस को चाहिए कि चाहे वह टेलीविजन हो या समाचार पत्र अथवा सोशल मीडिया हर जगह अपने चुनाव घोषणा पत्र के प्रचार और प्रसार पर अधिकाधिक ध्यान दें और यथासम्भव भुत की चर्चा से बचने का प्रयास करे। 

Friday, January 10, 2014

लोकसभा चुनाव २०१४ और मेरा घोषणापत्र [२] शिक्षा और कर प्रणाली

शिक्षा और विशेषकर ग्रामीण भारत में शिक्षा सुविधाओं के विस्तार के लिए हमारे दल की योजना है 
[१] शिक्षा को राज्यों की सूचि से निकालकर केंद्र की सूचि में सम्मिलित किया जायेगा जिससे सम्पूर्ण देश में पाठयक्रम और शिक्षा के स्तर को एकसमान रखने में सहायता हो। 
[२] शिक्षा का राष्ट्रीयकरण करके सरकारी स्कूल्स की संख्या और गुणवता में वृद्धि के लिए सभी आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए सभी सम्भव प्रयत्न किये जायेंगे। 
[३] चरणबद्ध रूप में कक्षा बारहवीं तक की शिक्षा को सभी बच्चों के लिए अनिवार्य और मुफ्त बनाया जायेगा। [४] भूमिहीन ग्रामीण , एक एकड़ से कम भूमि वाले किसान , तृतीय और चतुर्थ श्रेणी के सरकारी कर्मचारी तथा निजी क्षेत्र के कामगार जिनकी वार्षिक आय रु. ६०,००० से कम होगी उनके बच्चों को प्रतिवर्ष रु. ३००० क्षात्रवृत्ति दी जायेगी क्यूंकि बारहवीं तक की शिक्षा देश के प्रत्येक बालक के लिए अनिवार्य और मुफ्त होगी।  
[५] नए निजी स्कूल खोलने की अनुमति नहीं दी जायेगी तथा वर्त्तमान के सभी निजी स्कूल्स में भी महँगी शिक्षा पर अंकुश लगाने के लिए आगामी जून २०१५ से पूर्व ही देश के शिक्षा विशेषज्ञ और स्कूल संचालकों की सयुंक्त समिति द्वारा वार्षिक शैक्षणिक शुल्क निश्चित किया जायेगा।  
[६] निजी स्कूलों में शैक्षणिक शुल्क में तभी वृद्धि की जायेगी जब स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों के ७५% अथवा अधिक पालक सहमत हो।  
[७] प्रत्येक शाला में दीर्घ अवकाश के दिनों में राष्ट्रीय स्तर पर सहभागी खिलाडी / खिलाडियों के मार्ग दर्शन में किसी भी खेल विशेष के लिए प्रशिक्षण शिवरों का आयोजन किया जायेगा। ऐसे सभी शिवरों के समयकाल और शुल्क का निर्धारण पालकों की सहमति से किया जायेगा।  
[८] प्रोढ़ शिक्षा जैसे अप्रभावी और दोपहर के मुफ्त भोजन जैसी विवादस्पद योजनाओं को बंद कर दिया जायेगा और इन योजनाओं पर होने वाली राशि का उपयोग नए स्कूल्स खोलने और वर्त्तमान स्कूल्स में सुविधाओं और स्तर बढ़ाने पर खर्च किया जायेगा।  
[९] उच्च शिक्षा प्राप्ति अथवा बारहवीं के बाद अपना व्यवसाय आरंभ करने के लिए शुरआती पूंजी की उपलब्धता के लिए सरकारी स्कूल्स में पड़नेवाले पत्येक विधार्थी का रु. १ लाख का मुफ्त बिमा किया जायेगा। 
करों का सरलीकरण 
देश के करदाता, व्यापारी और सामान्य नागरिक भी करों की विवधता और जटिलता से परेशानी अनुभव करते हैं तथा करों की अधिकता के कारण भी महंगाई में वृद्धि होती है, परन्तु कर सरकार को प्राप्त होने वाले राजस्व का एक मुख्य भाग भी है।  इन्ही बातों को ध्यान में रखते हुए हमारा दल सत्ता में आते ही करों के सरलीकरण के लिए औद्योगिक क्षेत्र के प्रितिनिधि, व्यापर संस्थाओं के प्रतिनिधि और आर्थिक क्षेत्र के विशेषज्ञों की समिति स्थापित की जायेगी जो एक वर्ष के अंदर अपने सुझाव सरकार को देगी।  देश के सामान्य नागरिक और  व्यापारी वर्ग की प्रितिक्रया और संसद में विचार विमर्श के बाद करों के नए ढांचे को कार्यविन्त किया जायेगा।  इस सम्पूर्ण क्रिया में २-३ वर्ष लगना सम्भव है इसी बात को ध्यान में रखते हुए आर्थिक वर्ष १-४-२०१५ से ३१-३-२०१६ से नयी कर प्रणाली के प्रभावी होने तक 
[१] रु. १ करोड़ वार्षिक विक्री करनेवाले खुरदरा [Retail ] विक्रेताओं के पास वर्त्तमान दरों पर कर भुगतान के अतरिक्त अपनी विक्री राशि पर २% के कर [आय कर, वैट, व्यवसाय कर  और सेवा कर के स्थान पर ] के भुगतान का पर्याय उपलब्ध होगा परन्तु इस पर्याय चुनने की घोषणा ३१-१२-२०१४ से पूर्व करना अनिवार्य होगा।  
[२] देश में बाल मजदूरी रोकने तथा निजी क्षेत्र में कामगारों के हो रहे आर्थिक शोषण को रोकने के लिए देश के सभी बालिगों नागरिकों के लिए ३१-१२-२०१४ से पूर्व आय कर स्थायी संख्या [PAN] परिचय पत्र बनवाना अनिवार्य होगा।  ३१-३-२०१५ को समाप्त होनेवाले वार्षिक वर्ष से प्रत्येक आयकर दाता को अपने आयकर विवरण पत्र उसके द्वारा किसी को भी दिए वेतन विवरण के साथ वेतनधारी का PAN देना अनिवार्य होगा।  
[३] काले धन पर अंकुश लगाने के लिए आगामी आर्थिक वर्ष से रु. पाँच हज़ार से अधिक के नगद भुगतान पर प्रतिबंध होगा। सभी विक्रेताओं और सेवा देनेवालों पर पांच हज़ार से अधिक के मूल्य की वस्तु खरीदनेवाले / सेवा प्राप्त करनेवाले का PAN देना अनिवार्य होगा। 
[४] नौकरी करनेवालों की आय उन्हें प्राप्त सकल राशि और सुविधायों के मूल्य पर आधारित होगी परन्तु नए कर ढांचे के प्रभावी होने तक उन्हें प्रचलित आय कर की दरों की तुलना में आधी दरों पर कर भरना होगा।  
[५] यह अनुभव हो रहा है कि जीवन आवश्यक वस्तुओं की महंगाई में उत्पादनकर्ता द्वारा किये गए विज्ञापनों पर खर्च की गयी राशि एक महत्वपूर्ण घटक है अतः १-४-२०१५ से आरंभ होनेवाले आर्थिक वर्ष से इन उत्पादनकर्ताओं को अपने उत्पादनों के सकल विक्री मूल्य के १% से अधिक राशि विज्ञापनों पर खर्च करने की अनुमति नहीं होगी।  इस श्रेणी में सम्मिलित सभी उत्पादनों की सूचि ३१-१२-२०१४ तक प्रकाशित कर दी जायेगी।  
[६] व्यापारिक संस्थानों के प्रशासकीय खर्चों पर नियंत्रण रखने के लिए १-४-२०१५ से आरंभ होनेवाले आर्थिक वर्ष से किसी भी व्यापारिक संसथान को उस आर्थिक वर्ष में दर्शाये गए अपने शुद्ध लाभ के ६०% तक की राशि को प्रशासकीय खर्च के रूप में मान्यता दी जायेगी तथा इस मद में खर्च की गयी अधिक राशि को संसथान के शुद्ध लाभ में जोड़कर आयकर की गणना की जायेगी।  
[७] किसी भी व्यापरिक संस्थान द्वारा मालिक अथवा नोकरी करनेवालों में से प्रत्येक के रु. पांच लाख के स्वास्थ बीमा के लिए दिए गए प्रीमियम राशि को देय आयकर में १००% की छूट होगी।  इसी प्रकार यदि कोई संसथान अपने किसी कर्मचारी को पुत्री के जन्म पर उस कन्या के लिए एक बार भुगतान की जानेवाली दीर्घ कालीन बीमा पालिसी उपहार स्वरुप देता है तो यह राशि भी आयकर में १००% की छूट के लिए मान्य होगी।  

Tuesday, January 07, 2014

लोकसभा चुनाव २०१४ और मेरा घोषणापत्र

चुनाव भारतीय लोकन्त्रत का वह पंचवार्षिक उत्सव अवसर होता है जब देश के साधारण नागरिक मतदान द्वारा शासन में अपनी सहभागिता प्रदर्शित करते हैं।  पिछले ६०-६५ वर्षों से यह एक परम्परा सी बन गयी है कि देश के नागरिक चुनावों में अपना प्रितिनिधि निर्वाचित करके निश्चिन्त हो जाते थे परन्तु गत एक दो दशकों से जिस अबाध गति से राजनीती के व्यसायीकरण ने प्रगति की उसने यह सुनिश्चित कर  दिया है कि केवल मतदान से ही साधारण नागरिक की लोकतान्त्रिक शासन व्यवस्था के प्रीति कर्तव्यपूर्ति नहीं हो जाती है।  इसके साथ ही बढ़ती महंगाई, भृष्ट्राचार, बेरोजगारी और सबसे अधिक निर्वाचित जन प्रतिनिधियों के अनैतिक आचरण ने यह रेखाकित करना आरंभ कर दिया है कि देश की लोकतांत्रिक शासन प्रणाली साधारण नागरिकों से मतदान से आगे बढ़कर और अधिक सहभागिता की मांग करती है। 
लोकतान्त्रिक शासन प्रणाली में परंपरागत रूप से अब तक होता यह आया है कि चुनावों से पूर्व राजनैतिक दल आनेवाले पांच वर्षों के लिए अपने अपने दृष्टिकोण से देश के विकास की योजना को अपने अपने चुनाव घोषणा पत्र के रूप में प्रस्तुत करते रहे है। पिछले कई चुनावों से ऐसा अनुभव होता रहा है कि चाहे वह राज्य स्तर पर हो राष्ट्रीय स्तर पर चुनाव जीतने के बाद राजनैतिक दलों के लिए चुनाव घोषणा पत्रों की बातों का कोई विशेष महत्व नहीं रहता है।  एक ज्वलंत उदहारण है देश पर सबसे अधिक समय तक शासन करनेवाली पार्टी कांग्रेस ने देश में बढ़ती महंगाई को १०० दिनों में कम करने की बात अपने घोषणा पत्र में कही थी परन्तु वस्तुस्थिति यह है कि UPA के शासन काल में देश की विकास दर तो घटकर आधी हो गयी है परन्तु साथ ही महंगाई लगभग दोगुनी बढ़ गयी है।  
देश के साधारण नागरिकों के कई वर्ग समूह ऐसे हैं जिनकी याद राजनैतिक दलों को केवल चुनाव के समय ही आती है और परिणाम स्वरुप मुफ्त पानी , मुफ्त लैपटॉप , किसानो के लिए कर्ज़ माफ़ी, बिजली बिल आधा कर देना तथा कम कीमत पर अनाज का वितरण करने जैसी बातें चुनाव घोषणा पत्रों में महत्व प्राप्त करने लगी हैं ।  हमारे राजनैतिक दल शायद यह भूल जाते है कि इस प्रकार की घोषणाये मतदाता के लिए एक प्रकार का प्रलोभन ही है और निष्पक्ष् चुनाव का एक अर्थ प्रलोभनरहित चुनाव भी होता है।  
मेरे कहने का तात्पर्य यह है कि अब वह समय आ गया है कि या तो देश के सभी राजनैतिक दल नागरिकों की आशाओं आकांशाओं को अपने चुनाव घोषणा पत्र में सम्म्लित करने की विधा सीख लें या फिर साधारण नागरिक, लोकतान्त्रिक शासन प्रणाली में अपनी सहभागिता के रूप में मतदान के साथ साथ राजनैतिक दलों के लिए घोषणा पत्र तैयार करने को भी अपना कर्त्वय मान ले। 
इन्ही सभी बातों को ध्यान में रखते हुए में अपनी बुद्धि अनुसार तैयार किये गए एक घोषणापत्र को यहाँ प्रस्तुत कर रहा हूँ इस आशा के साथ कि देश के सुजान और सजग नागरिक इसमें संशोधन करेगें।  
निर्वाचित जनप्रतिनिधि 
१] जैसे हमारे किसी भी विधायक / सासंद की आयु ७५ वर्ष होगी वह सदन की सदस्यता से त्यागपत्र दे देगा। 
२] विधायक / सासंद के स्वयं के अथवा उसके पारिवारिक सदस्य के सहभाग वाले किसी भी व्यापारिक संस्थान को किसी भी प्रकार के सरकारी कार्य की निविदा भरने अथवा ठेका आदि लेने [प्रत्यक्ष अथवा परोक्ष रूप में ] पर प्रतिबंध होगा। 
३] चुनाव जीतने के तीन माह के अंदर निर्वाचित विधायक / सासंद अपने क्षेत्र की ग्राम पंचायतों से विचार विमर्श करके आनेवाले पांच वर्षों में विधायक / सासंद निधि द्वारा क्षेत्र में किये जानेवाले विकास कार्यों का वार्षिक नियोजन घोषित कर देगा।  यदि कोई विधायक / सासंद किसी वर्ष में घोषित कार्यों में से ८०% से कम कार्य करता है तो दल उस विधायक / सासंद की सदस्यता निरस्त कर देगा।  
४] विधायकों / सांसदों के साथ साथ मंत्रियों को राजधानी में निवास के लिए दिए जानेवाले रहवासी स्थान के लिए आगामी तीन वर्षों में बहुमंज़िला भवनों का निर्माण किया जायेगा और पद के अनुसार प्रत्येक विधायक / सासंद को कम / अधिक क्षेत्रफल वाला निवास स्थान आवंटित किया जायेगा।  वर्त्तमान के बड़े बड़े सरकारी भवन जो अब तक विधायक / सासंद / मंत्री के निवास के रूप में उपयोग में लाये जाते रहें है उनका उपयोग खेल के मैदान, स्कूल अथवा हॉस्पिटल के रूप में किया जायेगा। 
५] किसी भी विधायक / सांसद को सुरक्षा रक्षक की सरकारी सेवा केवल तभी प्राप्त हो पायेगी जब वह स्वयं अथवा उसका दल इसका भुगतान करने को तैयार हो।  केवल मुख्यमंत्री / प्रधानमंत्री इसके अपवाद होंगे परन्तु उन्हें भी राजधानी अथवा अपने गृहनगर में न्यूनतम आवश्यक सुरक्षा प्रदान की जायेगी।  
६] हमारा कोई भी विधायक / सासंद किसी भी NGO से किसी भी प्रकार से प्रत्यक्ष अथवा परोक्ष रूप से सम्बंधित नहीं होगा।  साथ ही हमारा प्रयत्न होगा की हम ऐसा नियम बना सकें जिससे देश के सभी NGO को उससे संबधित व्यक्ति के विधायक / सासंद के रूप में निर्वाचित होते ही सदस्यता और पद यदि कोई हो तो से अनिवार्य रूप से हटाने का अधिकार मिल जाये। 
७] यदि किसी विधायक / सासंद के कार्यों से क्षेत्र के नागरिक असंतुष्ट हैं तथा उस क्षेत्र की दो तिहाई ग्राम पंचायतें ग्राम सभा [सभी ग्राम सभाओं में एक माह से अधिक का अंतर  नहीं होना चाहिए ] बुलाकर विधायक / सासंद के विरोध में  अविश्वास प्रस्ताव पास कर देती है तो दल उस विधायक / सासंद को इस्तीफा देने के लिए विवश कर देगा।  अपवाद केवल तभी सम्भव है जब अगले चुनाव में एक वर्ष अथवा उससे कम समय शेष रहता हो।  
राजनैतिक दल और चुनाव खर्च 
१] देश के सभी राजनैतिक दलों पर किसी भी प्रकार की राशि नगद में लेने पर प्रतिबंध होगा। इसका सबसे बड़ा फायदा तो यह होगा कि देश का वह ग्रामीण भाग जो अब तक बैंक सेवा से नहीं जुड़ पाया है वहाँ पर यह सेवा अथवा सुविधा उपलब्ध हो जायेगी। 
२] देश के सभी राजनैतिक दलों को अपने सदस्य बनाने का अधिकार होगा परन्तु कोई भी मतदाता दो से अधिक राजनैतिक दलों का सदस्य नहीं बन सकता है , इसी प्रकार नाबालिगों , विधार्थियों , सेवा निवृत  तथा सक्रिय अर्थोपाजन न करनेवाले नागरिकों के राजनैतिक दलों के सदस्य बनने पर प्रतिबंध होगा।  
३] राजनैतिक दल अपने प्रत्येक सदस्य से वार्षिक सदस्यता शुल्क के रूप में अधिकतम रु. १००० तथा पांच वर्ष में एकबार चुनाव निधि के रूप में अधिकतम रु. २००० स्वीकार कर सकते है।  इस राशि और वर्ष भर में किये गए खर्च का विवरण आयकर विभाग तथा निर्वाचन आयोग को देने के साथ साथ सार्वजानिक करना भी अनिवार्य होगा।  
४] चुनाव वर्ष में देश के राजनैतिक दल किसी भी आयकर दाता नागरिक, जिसने पिछले आर्थिक वर्ष में दस हज़ार रूपये या उससे अधिक राशि का भुगतान आय कर के रूप में किया हो , से अधिकतम रु. ३००० चुनाव निधि के रूप में स्वीकार कर सकते है।  इस प्रकार की निधि देनेवाले आयकर दाता के लिए अपने उस वर्ष के आयकर विवरणपत्र में इस राशि और राजनैतिक दल का स्पष्ट उल्लेख करना अनिवार्य होगा।  
५] जमानत राशि भरने के अतरिक्त दल के प्रत्येक प्रत्याशी पर चुनाव से संबधित अन्य किसी भी प्रकार का खर्च करने पर प्रतिबंध होगा। चुनाव पर होनेवाला खर्च दल द्वारा किया जायेगा।  चुनाव खर्च पर कोई प्रतिबंध नहीं होगा परन्तु कोई भी राजनैतिक दल उस आम चुनाव से पूर्व समाप्त हुए आर्थिक वर्ष समाप्ति पर दल के पास उपलब्ध राशि के ९०% से अधिक खर्च नहीं कर सकता है। 
लोकसभा और विधानसभा क्षेत्रों का पुनः निर्धारण 
हमारा दल चुनाव जीतने के बाद निम्नलिखित सुधार करेगा। 
१] आगामी वर्ष अर्थात २०१५ को विशेष जनगणना वर्ष का रूप दिया जायेगा और इसी जनगणना के आधार पर लोकसभा और विधानसभा क्षेत्रों का पुनः निर्धारण किया जायेगा।  वर्ष २०१७ से होनेवाले सभी चुनाव तदनुसार होंगें। 
२] वर्ष २०१७ से प्रत्येक विधानसभा /लोकसभा क्षेत्र से दो प्रितिनिधि एक महिला और एक पुरुष चुनने का प्रावधान किया जायेगा जिससे महिलाओं को समुचित प्रतिनिधत्व प्राप्त हो सके। 
३] विधानसभा / लोकसभा क्षत्रों का निर्धारण इस प्रकार किया जायेगा कि प्रत्येक विधानसभा में कम से कम २.५ लाख और अधिकतम ३ लाख मतदाताओं तथा लोकसभा में ७ से ८ लाख मतदाताओं का समावेश होगा।  
४] यह नियम बनाया जायेगा कि कोई भी व्यक्ति अधिकतम पांच बार चुनाव लड़ सके।  
                            .......  क्रमशः  .......... 



Wednesday, January 01, 2014

आप की विजय के दस कारण

निश्चय ही दिल्ली विधानसभा चुनाव परिणामों ने यह सुपरिभाषित कर दिया है कि कम से कम देश का शहरी विशेषकर महानगरीय लोकतंत्र एक नयी करवट ले रहा है।  वैसे यह भी एक कटु सत्य है कि जो सफलता आम आदमी पार्टी को दिल्ली विधानसभा में मिली है वैसी सफलता तो क्या इस सफलता का  ५०% सफलता उसकेलिए किसी भी अन्य महानगर चाहे वो मुम्बई कलकता हो या चेन्नई अथवा बैंगलोर में प्राप्त करना टेडी खीर सिद्ध होता।  हम अब ये अवश्य कह सकते है कि दिल्ली की इस सफलता के बाद देश का कम से कम शहरी मतदाता, विशेषकर युवा मतदाता जो सदैव परिवर्तन का स्वागत करने को तत्पर रहता है , आम आदमी पार्टी के बारे में कुछ हद तक गम्भीरता से सोचने लगा है।
ध्यान देने की बात ये भी है कि आम आदमी पार्टी की सफलता में दिल्ली के देश की राजधानी होने और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया का केंद्र होने ने भी बड़ी महत्वपूर्ण भूमिका निभायी है।  आम आदमी पार्टी का जन्म भ्रष्ट्राचार विरोधी आंदोलन और सरकार के विरोध में आम आदमी के उदय के गर्भ से हुआ है और दिल्ली के देश की राजधानी होने ने आम आदमी पार्टी की लोकप्रियता बढ़ाने में मदद की है।  यदि हम ध्यान दें तो पाते है श्री कलमाड़ी जी जिन्हे CWG घोटाले के केंद्र के रूप में माना जाता रहा है उनका जितना विरोध दिल्ली में हुआ उसका १०% भी  उनके गृहनगर पुणे नहीं हुआ।  यहाँ पर ध्यान देने की बात ये भी है कि पुणे महाराष्ट्र राज्य का कोई छोटा मोटा नगर नहीं है, राज्य की सांस्कृतिक राजधानी होने के साथ साथ पुणे शिक्षा के केंद्र और कंप्यूटर हब के रूप में भी प्रसिद्ध है अर्थात पुणे में सुशिक्षित युवा नागरिकों की संख्या काफी अधिक है।
पिछले २-३ वर्षों से देश भर उजागर होते आर्थिक घोटालों, बढ़ती महंगाई और केंद्र में शासन कर रहे दल कांग्रेस की उदासीनिता से सम्पूर्ण देश में नागरिक असंतोष में चरणबद्ध रूप में वृद्धि हुई है परन्तु जितने आंदोलन और विरोध दिल्ली में हुए है उतने देश के किसी अन्य भाग में नहीं हुए हैं, यहाँ तक कि श्री अन्ना  हज़ारे के देशव्यापी भ्रष्ट्राचार विरोधी आंदोलन की कर्मभूमि दिल्ली ही थी।  दिल्ली में हुए निर्भया बलात्कार कांड जैसी घटनाओं ने इस असंतोष अग्नि में घी का काम किया।  श्री अरविन्द केजरीवाल और आम आदमी पार्टी के अधिकांश नेता दिल्ली में हुए इन आन्दोलनों से न केवल जुड़े हुए थे परन्तु प्रायः हर बार आंदोलन के अगरणीय की भूमिका में भी थे , इसीलिए स्वभाविक रूप में जब इन्होने आम आदमी पार्टी बनाकर विधानसभा चुनाव लड़ने का फैसला किया तो उन्हें विशाल जनसमर्थन मिलता चला गया।
०१] दिल्ली में पिछले १५ वर्षों से निरंतर चल रहे शीला दीक्षित जी के शासन के कारण शासन विरोधी भावना अपने चरम पर थी।  चुनाव पूर्व से बढ़ती महंगाई और बलात्कार की घटनाओं ने इस शासन विरोधी भावना को हवा दी।
०२] राष्ट्रीय राजधानी होने तथा केंद्र और दिल्ली दोनों स्थानों पर कांग्रेस की सरकार होने के कारण राष्ट्रिय स्तर पर हुए निर्णयों प्रभाव भी दिल्ली के नागरिकों का कांग्रेस के प्रति क्रोध का कारण बना।
०३] मुख्य विपक्षी दल बीजेपी चुनाव के लगभग एक माह पूर्व तक भी अपनी दिल्ली प्रदेश इकाई की आंतरिक कलह को सतह पर आने से रोकने में व्यस्त था।
०४] बीजेपी ने अपने प्रस्तावित मुख्यमंत्री के रूप में डा: हर्षवर्धन की घोषणा करने में देर कर दी जिसके कारण बीजेपी को कुछ स्थान काफी कम वोट अंतर से हारने पढ़े।
०५] बीजेपी यह भी नहीं समझ पायी कि वर्त्तमान में मतदाताओं का एक बड़ा प्रभावी वर्ग १८ से ३५ वर्ष के आयु वर्ग से आता है और यह वर्ग अधिक आयु वालों को अपने निर्वाचित प्रतिनिधि के रूप में नहीं देखना चाहता है।
०६] देश का सुशिक्षित युवा वर्ग खतरा उठाकर भी परिवर्तन चाहता है, सम्भवतः यह एक मुख्य कारण था जिसके कारण दिल्ली में आम आदमी पार्टी २८% से भी अधिक मतदाताओं की पसंद बन गयी।
०७] मध्यम वर्ग और गरीबों के लिए पानी जैसी आवश्यकता अथवा किसी छोटे मोटे काम के लिए सरकारी कार्यालय में समय गंवाने का अर्थ होता है अपने उस दिन के कमाई के समय में कटौती करना इसी कारण जब आम आदमी पार्टी ने मुफ्त पानी, बिजली बिल आधा कर देने अथवा मोहल्ला सभा जैसी लोकलुभावन घोषणाओं को घर घर पहुँचाना आरंभ किया तो नागरिक आकर्षित होते चले गए।
०८] यदि ध्यान दिया जाये तो बीजेपी द्वारा श्री मोदी जी की प्रधानमंत्री पद के लिए घोषणा के बाद से कांग्रेस बचावात्मक रूप में आ गयी और अनुभव कर रही है की २०१४ के लोकसभा चुनावों में उसकी पराजय लगभग तय हो चुकी है इसीलिए कांग्रेस हरसंभव प्रयत्न कर रही है कि २०१४ के चुनाव के बाद केंद्र में एक कमजोर सरकार बने।  अपने इस अभियान में कांग्रेस ने अनुभव किया कि अनुभवहीन और अतिउत्साही आम आदमी पार्टी एक ऐसा राजनैतिक दल है जिसके कंधे पर बन्दूक रखकर, बीजेपी के केंद्र में शक्तिशाली सरकार बनाने के इरादे को निशाना बनाया जा सकता है।
०९] दिल्ली में पिछले तीन वर्षों से निरंतर चल रहे जन आन्दोलनों के कारण श्री अरविन्द केजरीवाल और आम आदमी पार्टी के अन्य नेताओं की लोकप्रियता के नए शिखर छू रही थी।
१०] अपनी विशिष्ट सरकारी विरोधी भाषा शैली के कारण आम आदमी पार्टी के नेता नागरिक असंतोष को उभरने और अपने पक्ष में मतदान करवाने में बीजेपी की अपेक्षा अधिक सफल हुए। 

Tuesday, December 04, 2012

एफ ड़ी आय अं सिन्धी


थोड़ो वक़्त अगु ताएँ माँ लोकसभा में एफ ड़ी आय ते श्रीमती सुषमा स्वराज जी तक़रीर पियो बुधा  रवाजी तौर मां सियासी हलचलनु  खां परे रहण पसंद कन्दो आहियाँ  अं हित बी सियासी अगुवान जो जिकर फकत इनकरे आयो आहे छो जो हिन् वक़्त लोकसभा में एफ ड़ी आय ते बहस हली रही आहे । हकीकत में इन बहस जे करे ई मुहिजे दिमाग में इहो खियाल आयो त  एफ ड़ी आय जो सिन्धी समाज ते कहिड़ो असर थी सघन मुमकिन आहे ।
एफ ड़ी आय जे मुमकिन असर बाबत सोचीण समझण खां अगु एहो ज़रूरी आहे त असां हिक नज़र सिन्धियन जे हाणोके धंधन ते विझुं । आम तौर किराणे  अं कपडे जे व्यापार खे सिन्धियन जो असुलको धंधों लेखियो वेंदो आहे । गुजरिअल 30-40 सालन जे अरसे में सिन्धी इन्हन खां सिवाय बियन शयियन जो पीण व्यापर करण लगा आहिन पोई चाहे उहो कंप्यूटर हुजे या मोबाइल । वक़्त सार सिन्धी कौम में बी पदाई जी अहमियत वधी आहे अं घणा ई सिन्धी नवजवान हिन् वक़्त सरकारी तोड़े खाजगी नौकरीअ में पीण आहिन पर सिन्धियन जी आदमशुमारी जो वड़ो हिसो हाणे बि व्यापर सां जुडियल आहे अं ऊन में बि वादों तादाद अहिडीयन सिन्धियन जो आहे जिनजा नंन्ढ़े पैमाने ते किराणे , रोज़मर्हा  जे कम जूं शैयुं , जूता चपलूं , रेडीमेड कपडा या कपड़ो विकण जा दुकान आहिन । हाणे जे असां उन्हन धंधन ते ध्यान डीयूँ  जिन में सिन्धी बधा [Wholesale] व्यापारी आहिन त हिक गालिह बरवक्त ध्यान में अची थी त ओधर ते माल विकण जो असान्जी कामियाबी में वड़ो  हथु आहे ।
हाणे अचो त डिसुं  त एफ ड़ी आय अचण खां पोई मुल्क जे रेजकी [retail ] व्यापर ते कहिड़ो असर पवन्दो या कहिडी तबिदिलियुं अची सघन मुमकिन आहिन । हर लेखे जोग शहर में किराणे  अं बियन रोज़मर्हा जे जीवन लाय घुरिबल शयुन वास्ते वडा वडा माल खुली वेन्दा , खरीद अघ जे तफावत , बाहरी सुंह , वडे पैमाने ते जाहिरात जहिडयन गालिहियन जे जोर ते इहे माल हाणोके के रेजकी दुकानदार जे गिरहाकन लाय हिक वडी कशिश साबित थिन्दा । इन खां सिवाय जहिं नमूने असान्जी ज़िन्दगी अ में डेखाव जी अहमियत वधे पयी थी उनखे ध्यान में रखंदे  इन्हन माल में खरीद करण इज्ज़त जी निशानी पिंण बणजी पवंदी ।  मतलब त एफ डी आय जे करे रेजकी व्यापर ते असर पवणु  पको आहे । जे मकानी रेजकी व्यापारी घटजी विया त उन जो असर बधे व्यापार ते पवण लाजिमी आहे ।
सवाल असां सिन्धियन जो आहे । इहो सही आहे त एफ ड़ी आय जो असां सिन्धियन जे धंधन अजु अं तक्ड़ो असर न पवन्दो पर इहो ज़रूर आहे त असां खे बि नवां तरीका कम आणिण़ा पवंदा । एफ ड़ी आय जी हिक शर्त आहे त दुकानदारन खे पंहिजी घुरजुन जी पुरत करण लाय 30% खरीदारी मकानी कारखानन खां करणी आहे , मतलब त इहे विदेशी पैसो सीडायिंदड  जेको माल विकन्डदा  उन्जो 70% हो विदेश मां घुराये सघन था । बस इते ई असां सिन्धियन ते असर पवण  शुरू थीन्दो छो जो रेजकी व्यापार करण वारन लाय इहो सवलो न आहे अं बधो व्यापार करण वारन खे पिण  वधिक पैसा सीडायिणा पवंदा ।

Tuesday, November 13, 2012

भविष्य फल 2012 - 2013

सबसे पहले तो दिवाली की शुभकामनायें । कहते हैं दिवाली एक ऐसा पर्व है जब हर कोई चाहता है कि  उसकी तो दिवाली मनें और दुसरे का दिवाला निकल जाये । अब दिवाली पर किसकी दिवाली मानती है या किसका दिवाला निकलता है इस बात से तो हमारा कोई लेना देना न तो है और न ही बनता है । वैसे एक बात बता दूँ दिवाली मनने और दिवाला निकलने में हमें कोई रूचि नहीं हैं हम तो बस परंपरा का पालन करने का सिधांत मानने वाले आदमी है । अब यदि आज हमको भविष्य फल की बात करनी है तो आप ही बताइये  कि हम दिवाली मनने या दिवाला  निकलने जैसे विषय पर बात कर समय क्यूँ  नष्ट करें आखिर भाई समय भी तो पूंजी है न और इस पूंजी की कमी को पूरा करने के लिए ही तो सरकार ने खुदरा बाज़ार को भी विदेशी पूंजी निवेशकों के लिए खोल दिया है , खैर इस फ़िज़ूल की बात को यहीं समाप्त करके अपने आज के विषय पर ध्यान  देते है । बहुत पुरानी परंपरा है ये इस देश की , कि दिवाली के दिए जलाते ही मष्तिष्क में भी प्रकाश भर जाता है और हम ढूंढने लगते है वो पत्रिका / समाचार पत्र जिसमें भविष्य फल छपा हो । अब आज जब सभ कुछ ऑनलाइन होता जा रहा है तो हमने भी सोचा कि ये लेख किसी पत्रिका / समाचार पत्र में छपवाने से किया फायदा बस हमारे इस  नए ब्लॉग ने जन्म ले लिया । 
वैसे तो यह भी पुरानी परंपरा है कि भविष्य फल हमेशा बारह राशियों के हिसाब से ही दिया जाता है परन्तु वर्तमान में जब इतनी ढेर सारी परम्पराएँ  टूट  रही है , हम सामाजिक वर्जनाओं से दूर होते जा रहे है तो हमने भी सोचा कि चलो एक परंपरा विखंडन में हमारा भी सहभाग हो , बस यही सोचकर हमने  इस भविष्य फल 2012 -2013 को राशियों के बंधन से मुक्त कर दिया है और साथ ही  आपको ये आज़ादी भी दे दी है कि विशुद्ध मनोरंजन के लिए जिस भी भाग को आप अपनी आशाओं और रुचियों के अनुरूप पाए उसे अपना भविष्य फल समझ लीजिये और जो भाग आपको अरुचिकर लगे उसे अपने शत्रु का समझ लीजिये ।
तो मित्रों अब आइये और साल 2012 - 2013 में आपके सितारे और आपकी किस्मत किस प्रकार चमकने वाली है इसका हाल भी जान लेते हैं ।
भाग [1] : आपके लिए ये अमावस दिवाली के साथ समाप्त होने नहीं जा रही है अब ये कितनी लम्बी होगी यह तो जटिल गणनाओं के बाद ही बताया जा सकता है परन्तु इतना समझ लीजिये की सुविधाओं से आप को कुछ समय तक तो अवश्य दूर जाना ही पड़ेगा । हाँ यदि आप गूगल फेसबुक आदि का मोह टाल सकें तो इस अंधकारमय क्षेत्र का दायरा और समय सीमा को कम किया जा सकता है । 
स्वास्थ के हिसाब से भी आनेवाले दिनों में कोई अच्छा समाचार मिलने की संभावनाएँ कम ही नज़र आती है वैसे इस वर्ष में आप किसी पुराने गंभीर रोग से मुक्ति पा सकते हैं और यदि भाग्य ने साथ दिया तो भूतल पर रह भी सकते हैं । 
सुखद बात ये है कि आनेवाला वर्ष आपके लिए आर्थिक उन्नति के ढेर सरे अवसर लेकर आ रहा है आपको बस खुद को स्वस्थ रखना है और शेयर बाज़ार पर नज़र जमाये रखनी है इसका अर्थ ये है कि इस वर्ष में आपके लिए अचानक धन लाभ का प्रबल योग है । नयी फसल की कटाई आपके लिए विदेश यात्रा का सन्देश ला सकती है ।
राजनैतिक मित्रों से लाभ होगा । पारिवारिक और वैवाहिक जीवन में सुख बदने की भी संभावना है आप अचानक ही सपरिवार [राजनेता प्रायोजित ] धार्मिक यात्रा पर भी जा सकते हैं । संतान से सुख की आशा रखना व्यर्थ है क्यूँकि आपकी संतान आप से अधिक फेसबुक मित्रों पर ध्यान दे ऐसा ग्रह योग बनाने की सम्भावना अधिक है । 
भाग [2] : ये वर्ष आपके लिए मन हर्षित करने वाले समाचारों का वर्ष सिद्ध होने जा रहा है बस आपको सावधानी रखनी होगी कि किसी भी समाचार से मन को दुखी होने से बचाये रखें । वर्ष के आरंभ के दो महीनो में आप सड़क दुर्घटना का शिकार हो सकते हैं सांत्वना की बात ये है कि एक आध टांग टूटने से अधिक हानि नहीं होगी ।
संतान आपकी रूचि के विपरीत प्रेम विवाह कर सकती है परन्तु बहु अथवा दामाद के साथ आपके सम्बन्ध बड़े ही सौजन्य पूर्ण  रह सकते है जिसके लिए आपको समझदारी भरे व्यवहार का अवलंबन लेना पड़ेगा और इस नए रिश्तेदार की रुचियों पसंद नापसंद का भी विशेष ध्यान रखना पड़ेगा ।
कार्यालय में आपके सहयोगी आपके प्रशंसक बन सकते है कियुंकि इस वर्ष में इस बात के प्रबल ग्रह योग बन रहे हैं कि आप अपना काम करने के स्थान पर सहयोगियों का काम करने पर अधिक ध्यान दें जिसके कारण वर्ष बीतते न बीतते आपका तबादला किसी छोटी शाखा में हो सकता है ।
भाग [3] : वर्ष 2012 - 2013 में आपके लिए सफलता और सफलता का ही संयोग बनता दिख रहा है । कई वर्षों से रुके काम बनने की प्रबल संभावनाएं बनती दिख रही हैं । गुरु और मंगल के सहयोग के कारण, शनि तथा केतु के  अमंगलकारक प्रभाव से आप मुक्त रहेंगे । कार्यालय में उन्नति के अवसर बनते नज़र आ रहें हैं अधिकारी वर्ग को खुश रखकर इन अवसरों से लाभ लिया जा सकता है ।
परिवार में मंगल कार्य के लिए वर्ष के अंतिम तीन माह अति उत्तम है यदि संतान के विवाह का प्रयत्न  इस समय आरम्भ किया जाये तो वर्ष अंत तक सफलता मिल सकती है । विदेश यात्रा से विशेष लाभ की आशा इस वर्ष मत रखे समय और धन का नुक्सान होना संभव है ।
व्यापर में लाभ होगा उन्नती के नए अवसर मिलेंगे । शिक्षा और अर्थ विज्ञानं के स्नातकों  को इस वर्ष भी नौकरी मिलने की आशा नहीं करनी चाहिए हाँ यदि वे चांहे तो खली समय का सदुपयोग करते हुए किराने की दुकान खोल सकते है आशातीत  लाभ मिल सकता है । 
घर की सुख शांति के लिए यह ज़रूरी है कि आप पत्नी की बात मानते रहें । इस वर्ष में आपके लिए 1 डिसेम्बर 2012 से 14 अप्रैल 2013, 3 मई 2014 से 19 अगस्त  तथा 29 अगस्त से 27 ऑक्टोबर  2013 तक ये काल खंड दुखदायी साबित होने की बहुत अधिक संभावना है इस काल खंड में सच बोलना आपके दुःख बड़ा सकता है ।

Tuesday, May 22, 2012

IPL 2012: Destiny Writes For CSK


Yesterday I heard that some teams are determined to win while some others are with win destiny. CSK under the captaincy of Dhoni belongs to latter class of teams. In the last four years, after the IPL 1, this year again  I was following the IPL. From the match one there were indications for the twists and turns during the tournament.
Look at the some of these twists and turns associated with defending IPL champion CSK on the basis of which they say M S Dhoni is the lucky captain.
1] It was match No. 13 of the tournament though No. 13 is considered as unlucky but this brought luck for the CSK, before this match team was struggling with just one win against the Deccan Chargers, from the three matches they played. [Early days of the tournament] RCB won the toss and elected to bat first, RCB went on to score 205 from their allotted 20 overs.
It was on the cards that CSK is likely to face yet another defeat and till the end of 18 over things were heading in that direction as at that stage of game CSK was struggling with 163 for four, needing 43 runs from last two overs.  This was Virat Kohali who bowled the 19th over of CSK and Albie Morkel who had just walked in, went on score 28 runs from the six balls bowled by Kohali. [4,6,4,6,2,6]
CSK was needing 15 runs from the last over bowled by Vinaykumar, who went on get rid of Morkel on the second ball of the over but fail to defend 2 runs on last ball as Jadeja facing very first ball of his inning dispatched this last ball of match for four and CSK won the match.
2] This was the match No. 26 of tournament played at MA Chidambaram Stadium, Chennai, Rajasthan Royals won the toss and elected to bat, RR went on to finish their inning at 146 for 4 from their 20overs.
Match was again extended to 2 runs required from last ball and Dhoni scored these runs.
3] Date 14 May, Eaden Gardens Kolkata Match 63 of IPL 2012, Match No. 15 for CSK who were unable to find their winning touch as point tally for them was like 7 win from the 14 games played.
CSK won the toss and invited KKR to bat first who went on to score 158 for 6 from the 20 overs bowled by the CSK bowlers. After a very strong opening stand of 97 runs provided by Hussey and Murli Vijay in just 10.2 overs team was struggling for win in the last over as on the second ball of last over [bowled by Rajat Bhatia] Dhoni was bowled and team was needing 8 runs to win from remaining four balls.
Jadeja scored 3 runs from the first two balls he faced now Bravo was back on the strike and CSK needing 5 runs from 2 balls. Bhatia bowled a dot ball and CSK was left with needing 5 runs from the last ball of the match.
This is never easy for any player to hit a six on the last ball at Eaden Gardens against the home team with several thousand supporting roars for the home team, but when luck is on your side any thing can happen and Bravo hit a skiers towards the long on which landed beyond the Tiwari and boundary line and CSK once again, third time in the tournament went on test win on the last ball of the match.
4] On the 17th Match CSK lost their match to KXIP and finished with 17 points standing at forth position on point tally with 8 wins 7 losses and 1 rain washed match from the 16 games to be played by every team.
At this time RR with 14 points and 2 Matches left and RCB with 15 points and 2 matches left were in the position to move forward and assure a place in final four for the playoff and leaving the CSK disqualified for playoff. This was on the card as RR and RCB both were left with one match against the D C, the weakest team of the tournament.
On the same day, 17th May RCB went on win against the DD and matched with CSK on point tally [both having 17 points] with RCB to play their last game against DC on the 20th May.
5] Match No 68, 18 May, Rajiv Gandhi Stadium in a do and die game RR after winning the toss and choosing to bat Rajasthan Royals were managed to score [Batting First] their season’s lowest total 126 for 8 and in the first 8 overs of their inning DC openers Dhawan and Reddy by scoring 62 for no loss has insured a defeat for RR. What a destiny favor (?) for the CSK.
6] Destiny was writing yet another page for CSK as RCB the only team of the tournament which crossed the 200 mark twice, has failed to score just 132 runs scored by the DC. This might be the rush of blood or the destiny of RCB that which forced Virat Kohali the captain of RCB to go wild on the last ball of 16 over [RCB 103 for 5], a over in which RCB batsmen have already scored 14 runs from the five ball and heading towards victory and place in final four for the playoff.
Things went beyond the control of RCB as in the next 4 overs team has scored only 20 runs with loss of 4 more wickets.
DON’T BLAME ANY PLAYER, TALENT OR ANY THING ELSE THIS WAS THE DESTINY WRITTEN FOR DHONI & OWNERS OF CSK.

Friday, May 11, 2012

सौरव गांगुली - एक युग की विदाई



निश्चय ही ये एक ऐसा विषय है जिस पर असहमति के स्वर सुनाई देना कोई नयी बात नहीं होगी परन्तु निश्चित ही दादा ने अपने जीवन की खिलाडी के रूप में अंतिम पारी खेल ली है |  अच्छा  तो  यही  होता कि यह देश का एक सर्वश्रेष्ट कप्तान और शायद कपिलदेव के बाद एकमात्र प्ररेणा दाई कुशल नेत्रत्व पहिले ही घोषणा कर देता कि ५ मई को कोल्कता में होने वाले मैच के बाद वो अपने क्रिकेट बेट को विराम देने जा रहा है,  परन्तु जिस प्रकार से पुणे कि टीम ने इस सत्र की शुरुआत की उसने शायद दादा के मन में विश्वास पैदा कर दिया कि वो IPL 5  के विजेता कप्तान के रूप में खेल को विदा कह सकते हैं अभी भी दादा शायद १९ मई का इन्तिज़ार कर रहें हैं जब एक बार फिर से पुणे और कोल्कता के बीच मैच होगा |
इतना तो निश्चित है कि दादा अधिक दिनों तक मैदान पर खिलाडी के रूप में नज़र नहीं आने वाले हैं वैसे तो उनकी जुझारू पन को देखते हुए ये कहना गलत हो सकता है परन्तु कोल्कता में ५ मई के मैच ने दिखा दिया कि दादा मानसिक रूप से आज भी उतने ही सक्षम है जितने वो भारत के लिए खेलने वाले पहले दिन थे परन्तु आज उनकी शारीरिक क्षमताएं उनकी मानसिक क्षमता के साथ प्रवाहित नहीं हो रही है |
यदि BCCI  दादा की क्षमताओं और प्ररेणा दाई नेत्रत्व का सदुपयोग करना चाहता है तो संभवतः यही सही समय जब दादा तो अंडर १९ का अगले पांच वर्षों के लिए कोच नियुकुत कर दिया | भारत वर्ष में तो शायद ही कोई क्रिकेट का जानकर होगा जो मेरे इस विचार से असहमत हो कि BCCI  का यह कदम भारत को अगले दस वर्षों में क्रिकेट का सरताज बनाने कि दिशा में सार्थक पहल होगी |

Saturday, May 05, 2012

Bengal Tiger Dada V/s KKR: Match of IPL 2012


Surely this is possible only in IPL that Bengal Tiger Sourav Ganguli and Kolkatta Cricket team are fighting out for the glory. In Hindi there is saying meaning this is not possible to separate nails from the flesh but IPL has done this.
Today when Pune Warriors India will face the Kolkatta Knight Riders every Bengali will be praying for an attractive, impressive knock from the bat of their own beloved Dada and wishing for emergence of KKR as the match winner. Though this is quite possible that God might listen to thousands and thousands of Bengali people but considering the result patterns this appears that at the end of game there are more chances for a victory of PWI.
Till today our of the 44 games played [barring 2 rain washed games] 23 times home team has been fail to taste victory. PWI has scored 2 each victory home and away from their 4 wins in IPL 2012, where as out of the 6 wins of KKR only twice team has emerged as victorious at home.
The battle will start from the Toss as if the winning captain follow own winning trend it will support to winning trend of opposition team also. As till today out of 3 wins from the total 4 of PWI came batting first while the KKR out of 4 wins from 6 are the result of batting second.  
 KKR last home match batting first and scoring match winning total of 190 for four against the formidable attack of Royal Challengers Bangalore, certainly will prompt the Gambhir for batting first after winning the toss but weather forecast of and cloudy atmosphere will be helpful for the fast bowlers and when we add the winning trend of KKR in IPL 2012 this will become hard for him to take decision in favor of batting first.
Certainly this match is going to add new entry to record books of IPL [if weather permits game to be played] but considering the local support for Dada and his leadership quality I will opt 52% winning chances for PWI and 48% for the KKR.

Friday, May 04, 2012

IPL 2013


Nobody from the entire cricketing arena will dare to deny that Indian Premier League [IPL] is the most watched cricketing tournament of the world; eventually this tournament has turned the game of cricket into carnival for the viewers and a money factory for the players, team owners, sponsors and organizers.
For making this more entertaining and opening the new opportunities for the younger cricketers of world I am suggesting that from 2013 Onwards there must be 10 teams, 2 each from North India, South India, West India, East India and central India. From the Present three teams Bangalore, Chennai and Hyderabad from south, in place of Hyderabad new team either from Ahmedabad or Indore and one all together new team representing East India [Patna, Ranchi or Bhubaneshwar] should be introduced. The 10 Teams will be
1] Delhi Daredevils [North India, NCR, Hariyana, and U.P.]
2] Kings IX Punjab [North India Punjab, Chandigarh, Uttaranchal, J & K and Himachal]
3] Rajasthan Royals [Central India – Rajasthan and north Gujarat]
4] Ahmedabad or Indore [Central IndiaGujarat, M.P. Chhattisgarh]
5] Kolkatta Knight Riders [East India – West Bengal & North East States]
6] Patna / Ranchi / Bhubaneshwar [East IndiaBihar, Jharkhand and Orissa]
7] Mumbai Indians [West India- Mumbai & Goa]
8] Pune Warriors India [West IndiaMaharashtra]
9] Royal Challengers Bangalore [South India – Karnataka & Kerala]
10] Chennai Supper Kings [South India – Andhra Pradesh & Tamil Nadu]
You might be wondering why the state names are mentioned with every team, wait dear have some patience this will be disclosed when we come to composition of the teams.
Types of the Players
All the players will be divided into five categories
A] Past players from Indian Team or players with present contract with BCCI
B] Oversea players represented their respective country.
C] Indian Players above 25 years of age representing their state in domestic cricket.
D] Indian and oversea under 25 players
E] Indian and oversea under 19 Players
Auction of the player
There should be a minimum base price for every player from each category and my suggestions are
Category A – Rs. 3 Caror
Category B – Rs. 2 Caror
Category C – Rs. 1.75 Caror
Category D – Rs. 1.5 Caror
Category E – Rs. 1 Caror
Beside the auction amount every player in playing eleven will get Rs. 5 Lakh as match fees for every match played. 
In the category C, D & E, if the auction price for an Indian player crosses the limit of 3 times of base price his home team can use Veto power [Provided they don’t have max number of player allowed in that category] and have the player at the price, 3 times of the base price + 10% of amount of price higher than the base price, this 10% will be distributed among other biding teams and BCCI. In Category D & E, oversea players will not be priced higher than the 2.5 times of the base price if there are more than two teams interested it will be decided by lottery system.
Auction process will take place in order of [1] category A [2] category B [3] Category C [4] Oversea players for category D & E [5] Indian players for category D & E
If at the end of auction Indian players from category D & E are remained unsold and teams from their territory don’t have the minimum number of players in that category this will be essential for the teams to pick players from these at half of the base price + 10% to be paid to BCCI.
Number of Players in each team
Each team will have minimum 22 and maximum 33 players this will be as the following max and minimum number of players from each category
Category A       05 [Minimum 3 Players]
Category B       05 [Minimum 2 Players]
Category C       05 [Minimum 3 Players]
Category D       09 [Max 3 oversea player] [Minimum 7 Players]
Category E        09 [Max 3 oversea player] [Minimum 7 Players]
If any team takes an Indian player from Category A from the territory of other team 20% of the auction price [after subtracting the base price] will be paid to BCCI and home team. If any such player is purchased at base price buyer team has to pay additional 15% amount which will be shared by BCCI, Home Team and Player.
Playing Eleven Composition
This will be essential for every team to have at least one player from each of four categories of Indian Players and three Categories of oversea players.
Max. No, of players from each category are as follows
Category A        03
Category B        02
Category C        02
Category D        02
Category E        02 
In the playing eleven there should be minimum 6 Indian players and 3 oversea players. Maximum 5 oversea players are allowed.

Tournament Schedules
All the teams will be divided into two groups. Each team will play with other four teams of groups twice. Three top teams from each group will play once with other five teams. [These matches will be hosted at cities other than the home cities of the teams] Top four teams will qualify for the present Play of System.
As the matches of qualifying round for the Play of will be held in the cities other than the home city of teams hence there are more chances of more public turn out to stadiums and people from the cities like Lucknow, Nagpur, Gwalior etc will also have chance to be part of IPL.

Thursday, April 26, 2012

IPL 2012 Inspiring Dada will bring new Champion


IPL 2012: Pune Warriors India emerging as the new Champion

Tomorrow on 27th April we will be on the midway of the tournament as the match between Mumbai Indian and Delhi Daredevils played at Firoz Shah Kotla will be the 36th match of IPL 2012.
If we look at the point table today certainly we will conclude that things are not progressing as was expected at the start of tournament, surely this was rain last night at Bengaluru which forced CSK and RCB to hold third and fourth position on the point table.  
Considering the past performance Delhi Daredevils are appear to have a dream run this year but for the most of followers of the game progress of Pune Warriors India and Rajasthan Royals is a surprise element of this year’s cricket carnival as at the start both were rated even below the Kings IX Punjab, though this is yet another thing that even before the start of tournament I was sure that PWI and RR are going to make a place in final four.
I was sure just because Dada has to prove his inspiring leadership once again and Rahul has to prove a point that though 20-20 is game of physical powers but still this can be won on sheer talent and class.
In today’s position PWI and RR need to won just four more matches out of remaining eight. PWI has to play 2 games each against DC, KKR, RR and one each against MI and RCB. If we consider the last match between the PWI and RCB, this doesn’t happen so frequently that over 20 runs are scored in the last over of the match this fact might prove a point of inspiration for PWI when they play reverse game against RCB at home ground on the 11th May where as defending a paltry 129 against MI in the very first match of tournament they played is bound to boost the moral of player when they play against the MI on 3rd May at home.
PWI need to won just one from these two and one each against the DC, KKR and RR to take their point tally to 16 considering the present situations this appears that 16 points will be more than enough for any team to qualify for the final four.
My Final four with probable % of winning IPL 2012 are
Pune Warriors India [35%]
Rajasthan Royals [30%]
Mumbai Indian [20%]
Delhi Daredevils [15%]

Thursday, February 16, 2012

भारतीय लोकतंत्र और परिवर्तन की आवश्यकता


देश के पांच राज्यों के विधान सभा चुनाव परिणाम आने में अब तीन हफ़्तों से भी कम समय बचा है और जिस प्रकार के संकेत मिल रहे हैं उसे देखकर तो यही लगता है कि विशेषकर उत्तरप्रदेश जैसे बड़े राज्य  में  शायद ही किसी  एक राजनैतिक दल को बहुमत मिल पाए | उत्तरप्रदेश ही क्यूँ पिछले कुछ सालों से कई राज्यों और यहाँ तक कि केंद्र में भी एक से अधिक दलों की साझा सरकार कार्यरत है , वास्तव में देखा जाये तो देश राजनैतिक विश्वास और स्थिरता के अभाव के दौर से गुजर रहहै | राजनैतिक दलों और नेताओं के वायदों और आश्वासनों की भुलभुलिया में सामान्य मतदाता इतना भटक गया है कि सही निर्णय पर पहुंचना उसके लिए असंभव सा बन गया है |
चुनावों में पैसे और बहुबल , जाती और समुदाय तथा क्षेत्रीयता के बड़ते प्रभाव ने भी मतदाताओं के भटकाव को बढावा ही दिया है , राजनैतिक दलों का केवल चुनाव जितने तक सिमित रहने का दृष्टिकोण इस आग में घी का काम कर रहा है | आज अवस्था ये है कि प्रायः सभी राजनैतिक दल चुनाव के लिए उमीदवार घोषित करते समय उम्मेदवार की योग्यता और कार्य क्षमता को केवल और केवल चुनाव जीत सकने के आधार पर तय करते हैं |
चुनाव के बाद सरकार बनाते समय प्रायः राजनैतिक दल आपस में समझोता कर लेते हैं, जिससे जहाँ एक तरफ मतदाता खुद को ठगा सा अनुभव करते हैं वहीँ सत्ता प्राप्ति के इन अवसरवादी समझोतों के कारण देश के विकास पर भी प्रभाव पड़ता है | देश के वर्तमान प्रधानमंत्री श्री मनमोहन सिंह जी कई बार ये दोहरा चुकें हैं कि सहयोगी दलों के असहयोग के कारण वे कितनी ही नीतियों को अमल में नहीं ला पा रहे हैंवास्तव में देखा जाये तो आज़ादी के ६० वर्षों से भी अधिक के समय के बाद हमारा लोकतंत्र परिवर्तन चाह रहा है , देश अथवा राज्य में किसी एक राजनैतिक दल का शासन गुजरे ज़माने की बात बनने की दिशा में अगर्सर है |
देखा जाये तो इस समय देश को आवश्यकता भी है और लोकतंत्र के वास्तिक अर्थों के लिए ये अनिवार्य भी है कि हम अपनी वर्तमान के एकदलीय या बहुमतवाली साझा सरकार प्रणाली को बहुदलीय शासन प्रणाली में परिवर्तित कर लें | हमें ये ध्यान रखना चाहिए कि किसी भी क्षेत्र का मतदाता चुनाव में इसलिए वोट नहीं करता है कि उसके द्वारा चुना हुआ व्यक्ति ये कह सके कि चूँकि वो विपक्ष में था इसलिए क्षेत्र का विकास नहीं कर पाया | बहुदलीय शासन का एक फायदा ये भी होगा कि हमें श्री मनमोहन सिंह जैसे प्रधानमंत्रियों से राजनैतिक असहयोग जैसी बातें सुनने को नहीं मिलेंगी | इस सम्बन्ध में मेरे कुछ प्रस्ताव इस प्रकार है :
] सर्वप्रथम अधिक वोट पाने के स्थान पर ये नियम होना चाहिए कि चुनाव जीतने के लिए ये आवश्यक हो कि उम्मेदवार को कुल मतदान के ५०% से अधिक वोट मिले हों | यदि किसी क्षेत्र विशेष में किसी भी उम्मेदवार को कुल मतदान के ५०% या उससे अधिक वोट नहीं मिलते हैं तो इन सभी उम्मीदवारों को उस चुनाव के लिए अयोग्य घोषित करते हुए उस क्षेत्र में १५ दिन के अन्दर फिर से चुनाव कराया जायेगा | इससे केवल सामान्य नागरिकों में मतदान के प्रति जागरूकता बढेगी परन्तु साथ ही चुना हुआ नेता मतदान में रूचि रखनेवालों का वास्तविक अर्थों में प्रतिनिधि होगा | किसी जाती / समुदाय विशेष की , क्षेत्र विशेष में जनसँख्या के आधार पर उम्मेदवार निश्चित करने की प्रवर्ती पर भी लगाम कसी जा सकेगी |
] हर राजनैतिक दल के लिए ये आवश्यक होगा कि वो चुनाव लड़ने वाले अपने सभी सदस्यों में से किन्ही तीन लोगों के नाम मुख्य मंत्री / प्रधान मंत्री के पद के लिए घोषित करें | चुनाव के बाद सदन के सभी सदस्य इन घोषत नामों में से , चुनाव जीतनेवाले किसी एक सदस्य को मुख्य मंत्री / प्रधान मंत्री के रूप में गुप्त मतदान के आधार पर चुनेगें | यह चुनाव दलगत आधार पर नहीं होगा अर्थात विधान सभा / लोक सभा का हर निर्वाचित सदस्य अपने विवेक के आधार पर वोट देगा |
] मंत्री मंडल की सदस्य संख्या निर्वाचित सदस्यों के १०% के बराबर होगी | मुख्य मंत्री / प्रधान मंत्री के समान हर मंत्री के लिए भी विधान सभा / लोक सभा चुनाव में विजयी होना अनिवार्य होगा |
] कृषि, विज्ञानं , वित्त , स्वास्थ और शिक्षा मंत्री अपने अपने क्षेत्र के विशेषज्ञ होंगे | मुख्य मंत्री / प्रधान मंत्री को ये विशेष अधिकार होगा कि वे इसकेलिए किसी सामान्य नागरिक जिसने चुनाव लड़ा हो को भी नियुक्त कर सकते है परन्तु किसी भी अवस्था में चुनाव हारे हुए या चुनाव लड़ने वाले राजनेता को यह मंत्री पद नहीं दिया जायेगा और ही इस प्रकार मंत्री बनाये गए व्यक्ति को सदन में मतदान करने का अधिकार होगा |
] विधान सभा / लोक सभा की कुल सदस्य संख्या के २०% से अधिक स्थान जीतनेवाले सभी राजनैतिक दलों के सदस्यों को मंत्री मंडल में सम्मिलित होने का अवसर मिलेगा | मुख्य मंत्री / प्रधान मंत्री के लिए ये आवश्यक होगा कि वे इन सभी दलों में से सदन में दल की सदस्य संख्या के आधार पर कम से कम % और अधिकतम १०% सदस्यों को अपने मंत्री मंडल में सम्मिलित करें |
] मुख्य मंत्री / प्रधान मंत्री अपने मंत्री मंडल के प्रत्येक पद के लिए दो दो उमीदवारों का नामांकन करेगा जिन में से किसी एक को सदन के सदस्य गुप्त मतदान द्वारा चुनेगें |
] अकार्यक्षम मंत्री को पद से हटाने का अधिकार मुख्य मंत्री / प्रधान मंत्री के पास होगा परन्तु इसके लिए मुख्य मंत्री / प्रधान मंत्री को सदन में स्पष्टीकरण देना होगा और सदन के ५०% से अधिक सदस्यों द्वारा उस प्रस्ताव का अनुमोदन अनिवार्य होगा | मंत्रियों के विभाग बदलने के लिए (विशेषज्ञ मंत्री छोड़कर) मुख्य मंत्री / प्रधान मंत्री  को तो स्पष्टीकरण देना होगा और ही सदस्यों के अनुमोदन की आवश्यकता होगी |
] रेल विभाग के समान ही कृषि, विज्ञानं, स्वास्थ और शिक्षा मंत्रियों को अपने अपने विभाग का वार्षिक लेखा (Budget ) करके सदन के बहुसंख्यक सदस्यों द्वारा उसे पारित करवाना अनिवार्य होगा |